
- ड्रोन और एआई के आतंकवादी इस्तेमाल पर जताई चिंता
New Delhi : भारत और अमेरिका ने हाल ही में आंतकवाद से जुड़े मसलों पर बैठकें कर इससे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। इसमें कानून प्रवर्तन और न्यायिक सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई।
इन बैठकों में आतंकवाद का मुकाबला करने में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए यूएवी, ड्रोन और एआई के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले और लाल किले के पास हुई हालिया घटना की कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और अमेरिका ने 3 दिसंबर को नई दिल्ली में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 21वीं बैठक और 7वीं विषय आधारित वार्ता आयोजित की। भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ. विनोद बहाडे और अमेरिका के विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी मोनिका जैकबसेन ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया।
दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी और व्यापक तरीके से ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है। बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने आईएसआईएस-अल-कायदा से जुड़े संगठनों और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद व उनके प्रॉक्सी समूहों, समर्थकों, प्रायोजकों, फाइनेंसरों और समर्थकों के प्रतिबंध और कार्यवाही का समर्थन किया।
आतंकवाद विरोधी मामलों में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तालमेल पर ज़ोर देते हुए भारतीय पक्ष ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट को फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन (एफटीओ) और स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग का धन्यवाद दिया। दोनों पक्षों ने आतंकवाद विरोधी और डेजिग्नेशन डायलॉग पर जॉइंट वर्किंग ग्रुप की अगली बैठक अमेरिका में आपसी सुविधा की तारीख पर करने का फैसला किया।














