
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने आधिकारिक रूप से अपनी श्रीलंका यात्रा की शुरुआत की। जिसमें सबसे पहले राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने जयशंकर का स्वागत किया। विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री की तरफ से श्रीलंकाई राष्ट्रपति के लिए भेजे गए पत्र संदेश के बारे में उन्हें जानकारी दी। जिसमें भारत के सबसे पहले प्रतिक्रिया देने की भूमिका के अलावा श्रीलंका को दित्वा चक्रवात से हुए नुकसान के बाद 450 मिलियन डॉलर का पुनर्निर्माण पैकेज देने की प्रतिबद्धता जताई है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है, जिसमें बताया कि राष्ट्रपति दिसानायके और विदेश मंत्री जयशंकर की बातचीत में चक्रवात से भारत के निकट पड़ोसी द्वीपीय देश को हुए नुकसान के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही इस पर भी जोर दिया गया कि कैसे जल्द से जल्दी भारत द्वारा अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा किया जाएगा। बताते चलें कि विदेश मंत्री प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में 23 दिसंबर को श्रीलंका के एक दिवसीय दौरे पर थे। जिसके तहत उनकी ये उच्च-स्तरीय बैठकें हुईं।
मंत्रालय ने बताया कि भारत और श्रीलंका के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत में डॉ.जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका का भारत का निकट पड़ोसी देश होने के नाते और हमारी पड़ोस सबसे पहले व महासागर नीति के तहत ये स्वाभाविक था कि श्रीलंका के इस मुश्किल वक्त में आगे बढ़कर मदद पहुंचाई जाए। ऐसा हमारे द्वारा आपकी आर्थिक दिक्कतों के दौर को ध्यान में रखते हुए किया गया है। दित्वा चक्रवात में भी श्रीलंका भारत की आपदा प्रतिक्रिया में निभाई गई सहयोगात्मक भूमिका की सराहना करेगा। इस संबंध में भारत के सीडीआरआई के जरिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। भारत इस मुश्किल घड़ी में श्रीलंका और उसके लोगों की समस्याओं को बखूबी समझते हुए उसे तत्काल मदद पहुंचाने के लिए तैयार है। मैंने और श्रीलंका की विदेश मंत्री ने अपनी चर्चाओं में डिलीवरी को जल्द पहुंचाने से जुड़े प्रभावी समन्वय तंत्र के बारे में भी विचार-विमर्श किया है।
उन्होंने ये भी जोड़ा कि कुछ और तरीके भी हैं, जिनके जरिए भारत श्रीलंका को मदद पहुंचा सकता है या पहुंचाएगा। श्रीलंका में पर्यटन अर्थव्यवस्था काफी शानदार है। इसे लगातार बढ़ावा देने के लिए भारत पर्यटकों को द्वीपीय देश भेजने के लिए प्रोत्साहित करेगा। भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाकर भी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में इस जटिल वक्त में मदद प्रदान की जाएगी। हमारी चर्चाएं भविष्य में भी दोनों देशों के बीच गहरे सहयोगात्मक संबंध को बढ़ावा देने में मददगार साबित होंगी। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि 2022 के आर्थिक संकट के बाद ये प्राकृतिक आपदा श्रीलंका के लिए एक नई मुश्किलें लेकर आई है। लेकिन पूर्व में भी हमने देखा है कि कैसे अपनी मजबूत और दृढ़ प्रतिबद्धता के जरिए श्रीलंका ने समस्याओं का सामना किया है।
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