
India-Russia Relations : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को आश्वस्त किया है कि आने वाले समय में भी तेल, गैस और ऊर्जा संसाधनों की सप्लाई बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी। इससे वैश्विक राजनीति में नया माहौल बन गया है, क्योंकि यह संकेत देता है कि भारत और रूस के रिश्ते ऊर्जा क्षेत्र में और मजबूत होंगे। इसी बीच अमेरिका में पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने ऐसी टिप्पणी की है जिसने वॉशिंगटन में हलचल पैदा कर दी है।
उन्होंने कहा कि भारत अपने हितों के मुताबिक फैसले लेता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इसी सोच के लिए जनता ने चुना है, न कि किसी दूसरे देश को खुश करने के लिए।
रुबिन का मानना है कि भारत दुनिया की उभरती शक्तियों में से एक है और उसे किसी भी स्थिति में बाहरी दबाव का पालन करने की जरूरत नहीं है, चाहे वह ऊर्जा खरीद का मामला ही क्यों न हो।
भारत को स्थिर और सस्ती ऊर्जा चाहिए
भारत तेज रफ्तार से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है और इतनी बड़ी आबादी व उद्योग को लगातार ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में रूस भारत को कम कीमत पर तेल उपलब्ध करवा रहा है और सप्लाई भी बाधित नहीं होने देता। रुबिन ने साफ तौर पर कहा कि वह सुविधा जो रूस दे रहा है, अमेरिका आज की परिस्थिति में देने की स्थिति में नहीं है।
रुबिन का बड़ा आरोप
माइकल रुबिन ने अमेरिकी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि वॉशिंगटन खुद रूस से कई प्रकार का ईंधन और सामग्री लेता है, लेकिन भारत को वही करने से रोकने की कोशिश करता है। उन्होंने इसे अमेरिकी दोहरा रवैया बताया और कहा कि यह नैतिक रूप से सही नहीं है। रुबिन का कहना है कि यदि अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल न ले, तो उसे उससे बेहतर विकल्प सामने रखने चाहिए। जब वह सस्ता और स्थिर तेल उपलब्ध नहीं करवा सकता, तो भारत को रोकने की कोशिश व्यर्थ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने लिए सबसे लाभकारी रास्ता चुनने का पूरा अधिकार रखता है।
भारत की नीति साफ
भारत लगातार यह दोहरा रहा है कि वह अपनी ऊर्जा रणनीति किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर नहीं बदलेगा। भारत वही करेगा जो देश की आर्थिक मजबूती और जनता के हित में हो। ऊर्जा खरीद के मामले में भारत हमेशा व्यावहारिक रुख अपनाता रहा है और आगे भी यह नीति जारी रहेगी।
पुतिन ने कहा- भारत के विकास के लिए ऊर्जा जरूरी
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत की विकास यात्रा के लिए ऊर्जा जरूरी है और रूस यह जिम्मेदारी निभाता रहेगा। यह संदेश दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे और लंबे समय की रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।
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