
क्यों नहीं टूटता भारत-रूस का रिश्ता?
जब 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब अमेरिका और यूरोप का मानना था कि रूस दुनिया से अलग-थलग हो जाएगा। उन्हें उम्मीद थी कि उसके पुराने सहयोगी भी दूरी बना लेंगे। लेकिन भारत ने इस अनुमान को पूरी तरह गलत साबित कर दिया। पिछले तीन सालों में भारत-रूस संबंध और भी मज़बूत हुए हैं। यह साफ हो गया है कि यह रिश्ता केवल राजनीति या व्यापार पर नहीं, बल्कि गहरे रणनीतिक और ऐतिहासिक भरोसे पर टिका है।
तो आखिर क्या वजह है कि पश्चिम की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत-रूस की दोस्ती अटूट बनी हुई है? आइए समझते हैं—
1. ऐतिहासिक भरोसा – 1971 की मिसाल
भारत और रूस (तब का सोवियत संघ) के रिश्ते दशकों पुराने हैं।
- 1971 के भारत-पाक युद्ध में जब अमेरिका और चीन पाकिस्तान के साथ खड़े थे, तब सिर्फ रूस ने भारत का साथ दिया।
- रूस ने सैन्य मदद दी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के पक्ष में वीटो लगाया।
- यही भरोसा आज भी भारत की रणनीति में गहराई से बसा हुआ है।
2. आपसी सम्मान और राजनीतिक समझ
भारत और रूस के रिश्ते में सबसे अहम है आपसी सम्मान।
- दोनों देश कभी एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देते।
- रूस भारत की विदेश नीति पर सवाल नहीं उठाता और भारत रूस की आंतरिक राजनीति से दूरी रखता है।
- यही ‘गैर-हस्तक्षेप’ नीति इस रिश्ते को मजबूत बनाती है।
3. यूक्रेन युद्ध और भारत का संतुलन
- अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने उन पर अमल करने से साफ इनकार कर दिया।
- भारत ने युद्धविराम और बातचीत का समर्थन किया, पर किसी पक्ष में खड़ा नहीं हुआ।
- रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदते हुए भारत ने साफ कहा—“हम अपने नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा पहले देखेंगे।”
4. रक्षा सहयोग की गहराई
भारत की सैन्य ताकत का बड़ा हिस्सा रूस से जुड़ा है।
- एस-400 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल, टी-90 टैंक और सु-30 लड़ाकू विमान – ये सब रूस के साथ साझेदारी से जुड़े हैं।
- “मेक इन इंडिया” के तहत कई प्रोजेक्ट्स में रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हुआ है।
5. ऊर्जा और व्यापारिक साझेदारी
- भारत को रूस से डिस्काउंट पर तेल, गैस और कोयला मिलता है।
- उर्वरक, दवाइयों और कलपुर्ज़ों के व्यापार में भी दोनों देश गहराई से जुड़े हैं।
- रुपया-रूबल ट्रेड की कोशिशें डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में अहम कदम हैं।
6. वैश्विक मंचों पर साझेदारी
भारत और रूस BRICS, SCO जैसे संगठनों के अहम सदस्य हैं।
- ये मंच अमेरिका-यूरोप की संस्थाओं के विकल्प के रूप में उभर रहे हैं।
- न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे प्लेटफॉर्म विकासशील देशों में निवेश के नए अवसर खोलते हैं।
7. सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव
भारत और रूस का रिश्ता सिर्फ राजनीति और व्यापार तक सीमित नहीं है।
- बॉलीवुड से लेकर शिक्षा और विज्ञान तक, रूस भारतीय समाज में गहरी जगह रखता है।
- भारतीय आमजन रूस को हमेशा “दोस्त” की नजर से देखते आए हैं, जबकि पश्चिमी देशों के प्रति यह भरोसा उतना सहज नहीं रहा।