अफगानिस्तान के खिलाफ UNGA में भारत ने वोट देने से किया मना, भारतीय राजदूत ने कहा- ‘सजा देना ठीक नहीं’

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान की आंतरिक स्थिति पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें वैश्विक समुदाय से मानवाधिकारों की रक्षा, आतंकवाद के खात्मे और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करने की अपील की गई। इस प्रस्ताव को 116 देशों ने समर्थन दिया, लेकिन भारत ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया और मतदान से खुद को अलग कर लिया।

भारत ने स्पष्ट किया कि बिना नई और ठोस पहल के, “जैसे चल रहा है, वैसे चलने दो” का रवैया अफगान लोगों के हित में नहीं है। भारत ने इस मौके पर कहा कि मौजूदा स्थिति में यदि कोई नई रणनीति नहीं अपनाई गई, तो समस्या का समाधान खोजना संभव नहीं है।

भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कहा, “अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवादी संगठन जैसे अल-कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद का प्रभाव अफगानिस्तान में न फैले।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के तहत अब तक अनेक मदद पहुंचाई है, जिसमें गेहूं, दवाइयां, टीके, कीटनाशक और आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। साथ ही, भारत ने अफगान छात्रों को स्कॉलरशिप भी प्रदान की है।

पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव है। उन्होंने कहा, “हमेशा से ही भारत ने अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और विकास का समर्थन किया है।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संघर्ष के बाद की स्थिति को सुधारने के लिए सही नीतियों का होना जरूरी है। केवल सजा और दंडात्मक उपाय पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि सकारात्मक प्रयासों और सहयोग की भी आवश्यकता है।

हरीश ने चेतावनी दी कि बिना नई रणनीति और लक्षित पहल के, अफगानिस्तान में मानवीय संकट और क्षेत्रीय अस्थिरता गहराती जाएगी। उन्होंने कहा, “दूसरे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में वैश्विक समुदाय ने संतुलित और बारीक रणनीतियों का प्रयोग किया है, जबकि अफगानिस्तान में ऐसा नहीं हुआ।”

भारत के प्रतिनिधि ने कहा, “हम अपने हितधारकों के साथ जुड़ाव बनाए रखेंगे और एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध अफगानिस्तान के निर्माण के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।” इस पूरे मामले में भारत ने अपने मत का उपयोग न करने का फैसला किया।

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