भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार सुबह इतिहास रचते हुए दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। इसके साथ ही दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया।
स्पैडेक्स डॉकिंग की सफलता पर इसरो ने टीम और देशवासियों को बधाई दी है। गुरुवार को इसरो ने ट्वीट करके कहा कि अंतरिक्ष यान डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया पर इसरो ने कहा कि डॉकिंग की शुरुआत सटीकता से हुई और 15 मीटर से तीन मीटर होल्ड पॉइंट तक पैंतरेबाजी पूरी हुई। इस पूरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया।
डॉकिंग वह प्रक्रिया है…
डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसकी मदद से दो अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट एक साथ आते और जुड़ते हैं। यह विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। वांछित कक्षा में प्रक्षेपित होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यान 24 घंटे में करीब 20 किलोमीटर दूर हो जाएंगे। इसके बाद वैज्ञानिक डॉकिंग प्रक्रिया शुरू करेंगे। ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का उपयोग करते हुए टारगेट धीरे-धीरे 10-20 किमी का इंटर सैटेलाइट सेपरेशन बनाएगा। इससे दूरी धीरे-धीरे 5 किलोमीटर, 1.5 किलोमीटर, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंत में 3 मीटर तक कम हो जाएगी, जहां डॉकिंग होगी। डॉक हो जाने के बाद मिशन पेलोड संचालन के लिए उन्हें अनडॉक करने से पहले अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन करेगा।
भारत के लिए इसलिए भी है खास
सफल डॉकिंग प्रयोग भारत में किए जाने वाले कई मिशन के लिए जरूरी है। भारत की योजना 2035 में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। मिशन की सफलता इसके लिए अहम है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा। इनमें पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है। यह मिशन चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है। यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा