‘बांग्लादेश की राजनीति में बुधवार रात एक गंभीर घटना घटित हुई, जब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता, बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर्रहमान के ऐतिहासिक आवास पर प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की। यह घटना ढाका के धानमंडी क्षेत्र में हुई, जहां मुजीबुर्रहमान का घर स्थित है। प्रदर्शनकारियों ने मुजीबुर्रहमान के घर के सामने एक रैली का आयोजन किया था, जो सोशल मीडिया पर “बुलडोजर जुलूस” के आह्वान के बाद हुई। इस आह्वान को खासतौर पर शेख हसीना के भारत से एक ऑनलाइन संबोधन के विरोध में किया गया था।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे प्रदर्शनकारी इस ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचे और वहां तोड़फोड़ और आगजनी की। इस हिंसक कार्रवाई के कारण बांग्लादेश में राजनीति और समाज में हलचल मच गई। यह घटना न केवल बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़े करती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है।
भारत ने इस हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे “गुंडागर्दी” करार दिया। भारत ने बांग्लादेश सरकार से इस तरह की घटनाओं को रोकने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार की हिंसा लोकतांत्रिक समाज के लिए खतरनाक है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा, भारत ने इस घटना को लेकर बांग्लादेश की सरकार से स्पष्ट उम्मीद जताई कि वह ऐसे तत्वों को कड़ी सजा दिलाएगी, जो कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं। बांग्लादेश में शांति और स्थिरता के लिए इस प्रकार की हिंसक घटनाओं को रोकना जरूरी है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान किया जा सके और समाज में सौहार्द बना रहे।
वहीं, इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें शेख हसीना की सरकार और उनके विरोधियों के बीच और भी गहरे मतभेद उभरकर सामने आए हैं। इस घटना ने बांग्लादेश में सरकार की स्थिरता को भी चुनौती दी है, और आने वाले दिनों में इसकी राजनीतिक और सामाजिक असर के बारे में और चर्चाएँ हो सकती हैं।