मध्य प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में लगातार बढ़ती गड़बड़ियों और फर्जी कॉलेजों के संचालन को लेकर चिंता गहरा गई है। प्रदेश के निजी कॉलेजों में नियमों की अनदेखी और शिक्षा गुणवत्ता में गिरावट को लेकर हाल ही में एक नई समस्या सामने आई है। उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने 23 दिसंबर 2024 को सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि वे निजी कॉलेजों का भौतिक निरीक्षण और सत्यापन 15 दिनों के भीतर करें, लेकिन 22 दिन बाद भी किसी कॉलेज का निरीक्षण नहीं हुआ और न ही इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाया गया।
एक ही बिल्डिंग में कई कोर्स चलाना: मध्य प्रदेश में अब तक खुलासा हुआ है कि कई निजी कॉलेज एक ही बिल्डिंग में कई कोर्स चला रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। नर्सिंग कॉलेजों के मामले में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब अन्य कोर्स जैसे पैरामेडिकल, फार्मेसी, डीएड, बीएड और पीजीडीएम कॉलेजों में भी अनियमितताएं बढ़ गई हैं। कई कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है और छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। यह आरोप लगाया गया है कि शिक्षा माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है।
NSUI ने सरकार और प्रशासन पर उठाए सवाल: NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन इस मामले में गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई ने पहले ही नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा, उन्होंने ग्वालियर, चंबल और भोपाल संभागों में सबसे अधिक फर्जी प्राइवेट कॉलेजों के संचालन की बात की और इन इलाकों के कॉलेजों के खिलाफ न्यायिक सीबीआई जांच की मांग की। परमार ने कहा कि ग्वालियर और चंबल में नर्सिंग कॉलेजों के लिए फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर मान्यता दी गई, जो प्रदेश की शिक्षा प्रणाली की साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सीबीआई जांच की मांग और मुख्य सचिव से मुलाकात का अनुरोध: रवि परमार ने आरोप लगाया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में नर्सिंग कॉलेजों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है, उदाहरण के तौर पर दतिया जिले में 6 कॉलेज से बढ़कर 25 कॉलेज हो गए हैं और ग्वालियर में 75 से बढ़कर 121 कॉलेज हो गए हैं। इन कॉलेजों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है। परमार ने कहा कि वे प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन से मुलाकात का समय मांगेंगे, ताकि इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा की जा सके और शिक्षा माफियाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ समाधान निकाला जा सके।