
- वायु प्रदूषण के बीच बच्चों को खेलने की अनुमति देना उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा
New Delhi : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए कहा कि बच्चों को खेल प्रतियोगिताओं में उतारना उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा है। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को निर्देश दिया कि वो बच्चों की खेल प्रतियोगिता हवा सुरक्षित होने तक टाल दें।
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण पर सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और उच्चतम न्यायालय
को इस मसले पर हर माह सुनवाई करनी चाहिए। सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि बड़े लोग एयर प्यूरीफायर वाले बंद कमरों में बैठने को मजबूर हैं और बच्चे खुले गैस चेंबर जैसे माहौल में खेल अभ्यास कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि खेल प्रतियोगिताएं फिलहाल स्थगित की जाएं और बाद में सुरक्षित समय में आयोजित हों।
सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 18 नवंबर को पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अगुवाई में दिल्ली-एनसीआर के राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों पर चर्चा की गई। इस पर एमिकस क्यूरी ने कहा कि 2018 से दीर्घकालिक नीति और 2015 से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू है, लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिससे जमीनी स्तर पर असर कमजोर पड़ जाता है।
उच्चतम न्यायालय
ने 17 नवंबर को दिल्ली में सभी निर्माण को रोकने की मांग काे खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण की स्थिति के हिसाब से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग कदम उठाता है। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण स्तर पर रोक लगाने के लिए वो कड़े निर्देश जारी करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि हम विशेषज्ञों का स्थान नहीं ले सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि पर्यावरण संबंधी चिंताओं और विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा था कि निर्माण और इससे जुड़े सभी क्षेत्रों पर लाखों परिवारों की आजीविका निर्भर है, इसलिए एक व्यापक प्रतिबंध लगाने से गंभीर सामाजिक और आर्थिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं।















