यूपी के इस जिले में है एक ऐसा मंदिर जहाँ बदलता है शिव लिंग का रंग, जानिए क्या है यहाँ की विशेषता

लखीमपुर खीरी जिले मे वैसे तो शिव मंदिरों की कमी नहीं है लेकिन यहां स्थापित लिलौटीनाथ मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। यहां का शिवलिंग न केवल रंग बदलता है बल्कि यह भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में अश्वत्थामा ने खुद की थी। लखीमपुर खीरी शहर के निकट स्थित पौराणिक लिलौटी नाथ शिव मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन में यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पांडव जब वनवास गए थे तो अश्वत्थामा ने ही इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी।

पुजारी ये भी बताते हैं कि आज भी इस मंदिर में जब सुबह कपाट खोले जाते हैं तो शिवलिंग पर पुष्प और बेलपत्र आदि चढ़ा मिलता है। लोगों के मुताबिक मंदिर के कपाट खुलने से पहले आज भी शिवलिंग पूजित मिलता है। किवदंती है कि भोर होने से पहले अश्वत्थामा यहां शिव को जलाभिषेक करने आते हैं। वहीं कुछ लोग आल्हा-ऊदल द्वारा पूजा किए जाने की बात भी बताते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार महेवा स्टेट के लोगों न कराया। यहां श्रावण मास में मेला लगा रहता है।

बाबा का शिवलिंग चमतकारी है इसमें शिव पार्वती की आकृति दिखती है। लिलौटीनाथ बाबा के दर्शन के लिए आसपास के जिलों से श्रद्धालु आते है। शिवभक्त और बाबा के दर्शनों के लिए आए भक्तों का कहना है कि जब भी हमने बाबा से कुछ मांगा तो हमे मिला। सावन भर दूर-दूर से आने वाले कावड़ियों का ताता इस मंदिर में लगा रहता है।

शिवलिंग का बदलता है रंग

जुनई और कंडवा नदी के उद्गम स्थल के बीच स्थित पौराणिक महत्व वाले लिलौटीनाथ धाम में शिवलिंग पर आकृति बनी है। इसमें लोग मां पार्वती के स्वरूप को देखते हैं। खास यह है कि शिवलिंग दिन मे कई बार रंग बदलता है। मान्यता है कि सुबह के समय काला, दोपहर में भूरा और रात के समय हल्की सफेदी शिवलिंग को विशेष बनाती है। हर अमावस्या को लगता है मेला कभी बबुरी वन के नाम से विख्यात रहे इस स्थल पर मुंडन, जनेऊ और तिलक जैसे संस्कारों के लिए श्रद्धालु अक्सर यहां का रुख करते हैं।

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