दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा….

जेल से चुनाव लडऩे पर रोक लगे

नई दिल्ली  । दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लडऩे से रोका जाना चाहिए। मामला जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने सोमवार को सुनवाई के लिए लिस्ट था, लेकिन सुनवाई हो नहीं सकी। तब ताहिर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने मंगलवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा कि अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लडऩे से रोका जाना चाहिए।


इस पर ताहिर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ताहिर का नामांकन स्वीकार किया जा चुका है। इस पर कोर्ट ने मामले को मंगलवार के लिए लिस्ट कर लिया। आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है।

हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी
ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 24 दिसंबर, 2024 को आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की थी। उन्होंने 14 जनवरी से 9 फरवरी तक जमानत मांगी थी। मामले की सुनवाई के दौरान 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है। इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का मामला चल रहा है। ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार हैं। उन्हें अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ताहिर की ओर से पेश वकील तारा नरूला ने कहा था कि मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है। हालांकि, हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। अगले दिन यानी 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आए और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चले गए थे। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप
दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कडक़डड़ूमा कोर्ट में दो चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था। ताहिर के अलावा उनके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भडक़ी थी। ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी।

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