महाकुम्भ में दुनिया भर के सनातनियों ने लगाई त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी

तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हो रहे दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ ने शनिवार को नया इतिहास रच दिया। यहां अब तक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम कर दी। 60 करोड़ से अधिक की यह संख्या किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मनुष्य के अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है।

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में कुल 120 करोड़ सनातनी हैं। इस लिहाज से महाकुम्भ में दुनिया के आधे से अधिक सनातनी त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाकर पुण्य फल प्राप्त कर चुके हैं। 26 फरवरी को शिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व तक यह संख्या 65 करोड़ से भी ऊपर पहुंच सकती है। माना जा रहा है कि यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के सुव्यवस्थित प्रयासों से संभव हो पाया है। भारत की इस प्राचीन परंपरा ने अपनी दिव्यता और भव्यता से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है। खास बात यह रही कि महाकुम्भ के महाआयोजन में 73 देशों के राजनयिक और भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक समेत तमाम देशों के अतिथि यहां अमृत स्नान करने पहुंचे। यही नहीं, मां जानकी के मायके नेपाल के 50 लाख से अधिक लोग अब तक त्रिवेणी के पवित्र जल में स्नान कर महाकुम्भ के साक्षी बन चुके हैं।

भारत एक धार्मिक देश है। यहां एक नहीं, बल्कि कई धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ मिलक रहते हैं। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी संख्या सनातन धर्म को मानने वालों की है। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू, प्यू रिसर्च के मुताबिक भारत की अनुमानित जनसंख्या 143 करोड़ (1.43 अरब) है। इसमें सनातन धर्मावलंबियों की संख्या लगभग 110 करोड़ (1.10 अरब) है। इसके साथ ही पूरी दुनिया में सनातन धर्मावलंबियों की संख्या 120 करोड़ है। इस तरह अगर स्नानार्थियों की संख्या की तुलना दुनिया भर के सनातनियों की संख्या से की जाए तो 50 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग अब तक त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं। यदि देश की कुल जनसंख्या से स्नानार्थियों की तुलना की जाए तो यह 55 प्रतिशत हो गई है। यानी देश की कुल जनसंख्या के करीब 55 प्रतिशत से ज्यादा लोग त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं।

उम्मीदों के पार पहुंचा श्रद्धालुओं का आंकड़ा

मां गंगा, यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु-संतों, श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान अब उस शिखर के भी पार पहुंच गया है, जिसकी महाकुम्भ से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उम्मीद जताई थी। सीएम योगी ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार जो भव्य और दिव्य महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है, वह स्नानार्थियों की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। उन्होंने शुरुआत में ही 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई थी। बता दें कि उनका यह आंकलन बीते 11 फरवरी को ही सच साबित हो गया था। वहीं शनिवार (22 फरवरी) को यह संख्या 60 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गई है। अभी महाकुम्भ के समापन में पांच दिन शेष हैं और महत्वपूर्ण महाशिव रात्रि का स्नान पर्व बचा है। पूरी उम्मीद है कि स्नानार्थियों की यह संख्या 65 करोड़ के ऊपर जा सकती है।

विभिन्न स्नान पर्वों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक करीब आठ करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था। जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया। एक फरवरी और 30 जनवरी को दो-दो करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई। इसके अलावा बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी। वहीं माघी पूर्णिमा के महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर भी दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पावन स्नान किया।

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