ILO : गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा व अधिकारों के लिए उठी आवाज

  • मंत्री अनिल राजभर ने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में किया प्रतिभाग
  • आईएलओ ने भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज में हुई बढ़ोतरी को वैश्विक स्तर पर सराहा

जिनेवा/लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर ने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में गए हुए हैं। उन्होंने गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा अधिकारों पर कहा कि यह सत्र सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया है कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण के लिए वैश्विक स्तर पर गंभीरता से विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सभी देशों के लिए एक आंख खोलने वाला सत्र था कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है। लगभग 8 मिलियन (80 लाख) कर्मचारी गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में लगे हुए हैं। और 2030 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 24-25 मिलियन हो जाएगी। उनकी सामाजिक सुरक्षा आवश्यकताओं की रक्षा और सुधार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विभाग ने इन कर्मचारियों की जरूरतों की पहचान शुरू कर दी है और रणनीतियों एवं तौर-तरीकों पर कार्य प्रगति पर है।


बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज की ऐतिहासिक वृद्धि को मान्यता दी है, जो वर्ष 2015 में मात्र 19 प्रतिशत थी, अब 2025 में बढ़कर 64.3 प्रतिशत हो गई है। भारत अब 94 करोड़ से अधिक नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान कर विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर ने जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के दौरान दी।
उन्होंने कहा कि भारत में सामाजिक सुरक्षा का यह विस्तार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गरीबों, श्रमिकों एवं असंगठित क्षेत्र के हितों की केंद्रित नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम है। अनिल राजभर ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपने आधिकारिक ILOSTAT डैशबोर्ड पर भारत की इस उपलब्धि को प्रकाशित किया है। आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हांगबो ने भी पीएम मोदी की गरीबों और श्रमिकों के प्रति प्रतिबद्ध कल्याणकारी नीतियों की सराहना की है।
मा. मंत्री ने बाल श्रम पर आयोजित एक महत्वपूर्ण सत्र में भी भाग लिया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने सभी प्रकार के बाल श्रम को समाप्त करने की सख्त आवश्यकता पर बल दिया। श्री राजभर ने बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि 12 जून को ‘बाल श्रम निषेध दिवस’ के अवसर पर फैक्ट्री मालिकों सहित हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि घर से लेकर फैक्ट्री तक किसी भी जगह बच्चों से काम नहीं लिया जाएगा। उन्होंने योगी सरकार द्वारा स्थापित अटल आवासीय विद्यालयों को श्रमिकों के बच्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्कूली शिक्षा प्रदान करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया और वैश्विक समुदाय से उत्तर प्रदेश के इस अभिनव मॉडल का अनुसरण करने और दुनिया भर में ऐसे विद्यालय स्थापित करने का आग्रह किया। ऐसे प्रयासों से बच्चों को बाल श्रमिक बनने से रोका जा सकेगा।
श्री राजभर ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 12 से 19 जून तक ‘बाल श्रम निषेध सप्ताह’ मनाया जा रहा है। इस सप्ताह का समापन 19 जून को लखनऊ में होगा, जिसमें वे स्वयं भाग लेंगे और उत्तर प्रदेश में बाल श्रम के समूल उन्मूलन की आवश्यकता एवं प्रयासों को दोहराएंगे। इस एक सप्ताह के अभियान में यूनिसेफ उत्तर प्रदेश सरकार का भागीदार होगा। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (श्रम एवं सेवायोजन) डॉ. एम.के. शनमुगा सुन्दरम् , भारतीय राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि अरिंदम बख्शी, नियोक्ता एवं कर्मचारी प्रतिनिधि तथा अन्य अधिकारी भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य मौजूद रहे।

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