
देश में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। कहीं अनुमान से पहले मॉनसून दस्तक दे देता है, तो कहीं अलर्ट के बावजूद बारिश नहीं होती। हाल ही में केरल में मॉनसून अपने अनुमान से आठ दिन पहले पहुंच गया, जबकि दिल्ली में येलो अलर्ट जारी होने के बावजूद बूंद तक नहीं गिरी। इसी तरह, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और धर्मशाला में बादल फटने से भारी तबाही मची, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और नौ लोग लापता हैं। अगर समय रहते सटीक पूर्वानुमान मिल जाता, तो शायद इतना बड़ा नुकसान टाला जा सकता था।
अब ऐसी त्रासदियों से बचना आसान हो सकता है। IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित मॉडल विकसित किया है, जो मॉनसून के आगमन का सटीक पूर्वानुमान 18 दिन पहले ही दे सकता है। यह मॉडल न केवल मौजूदा तकनीकों से तेज है, बल्कि अधिक भरोसेमंद भी है।
क्या खास है इस AI मॉडल में?
इस अत्याधुनिक मॉडल में ट्रांसफॉर्मर न्यूरल नेटवर्क तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो वही तकनीक है जो ChatGPT जैसे एआई सिस्टम्स में भी प्रयोग होती है। यह नया मॉडल मौसम के पैटर्न को समझकर बेहद कम समय में सटीक नतीजे देने में सक्षम है।
इस रिसर्च को IIT दिल्ली के प्रोफेसर संदीप सुकुमारन और प्रोफेसर हरिप्रसाद कोडमाना के नेतृत्व में पीएचडी स्कॉलर अनिरुद्ध और पंकज ने मिलकर पूरा किया है। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को फंडिंग दी है और टीम अब भारतीय मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर इसे और विकसित कर रही है।
पारंपरिक मॉडल से कितना बेहतर है AI मॉडल?
प्रोफेसर सुकुमारन के मुताबिक, इस ट्रांसफॉर्मर AI मॉडल में गलती की दर (Error Growth) पारंपरिक मॉडलों की तुलना में काफी कम है।
- पारंपरिक मॉडल के मुकाबले यह मॉडल अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के सिस्टम से भी ज्यादा सटीक साबित हुआ है।
- पुराने सिस्टम को चलाने के लिए सुपरकंप्यूटर और भारी संसाधन चाहिए होते हैं, लेकिन नया AI मॉडल साधारण GPU पर भी काम कर सकता है, जैसे कि गेमिंग लैपटॉप में लगे होते हैं।
- इससे ना सिर्फ समय और पैसे की बचत होती है, बल्कि सरकारी संसाधनों पर भी दबाव कम होता है।
5 साल के डेटा से मिली पुष्टि
पीएचडी शोधार्थी अनिरुद्ध ने बताया कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों के मौसम डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि नया AI मॉडल पारंपरिक मॉडलों से कहीं अधिक तेज़ और सटीक है।
- अमेरिका और ब्रिटेन के मॉडल्स की तुलना में यह न केवल कम समय में रिज़ल्ट देता है, बल्कि ज्यादा पूर्व चेतावनी अवधि भी उपलब्ध कराता है।
- पारंपरिक सिस्टम जहां अनुमान देने में घंटों लगाते हैं, वहीं AI मॉडल कुछ ही सेकंड में रिज़ल्ट दे सकता है।
40 चक्रवातों पर भी की गई स्टडी
दूसरे पीएचडी स्कॉलर पंकज ने बताया कि उन्होंने पिछले चार वर्षों में आए 40 चक्रवातों का डेटा लेकर रिसर्च की।
- पारंपरिक मॉडल्स आमतौर पर चक्रवात की स्थिति और दिशा को 500 किलोमीटर के दायरे में अनुमानित करते हैं,
- जबकि नया AI मॉडल इस दूरी को काफी घटाकर ज्यादा सटीक ट्रैकिंग में सफल रहा है।
- इतना ही नहीं, AI मॉडल से 4 दिन से ज्यादा पहले भी सटीक अनुमान मिलना संभव हो पाया है, जो अभी तक मुमकिन नहीं था।
भविष्य में आपदा प्रबंधन में बन सकता है बड़ा हथियार
IIT दिल्ली का यह नया AI आधारित मौसम पूर्वानुमान मॉडल भारत के मौसम विज्ञान क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
- समय से पहले चेतावनी मिलने पर सरकार राहत और बचाव कार्यों की तैयारी पहले कर सकेगी।
- आम जनता को भी सही जानकारी समय पर मिलेगी जिससे जान-माल के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
- कम संसाधनों में ज्यादा सटीक काम करने की वजह से यह मॉडल ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में भी बेहद कारगर साबित हो सकता है।