आईजीएमसी मारपीट मामला : हड़ताल की वजह बने विवाद का शांत अंत, डॉक्टर और मरीज ने गले मिलकर खत्म की कड़वाहट

शिमला : शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में जिस विवाद ने पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला दिया था, उसी मामले का अंत मंगलवार को एक भावुक और सकारात्मक दृश्य के साथ हुआ। जिस घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी, वही डॉक्टर और वही मरीज अब गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिले। हाथ मिलाए, माफी मांगी और यह संदेश दिया कि संवाद और समझदारी से हर विवाद सुलझ सकता है।

यह समझौता शिमला स्थित राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के कार्यालय में हुआ। यहां सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव नरूला और मरीज अर्जुन सिंह पंवार आमने-सामने बैठे। दोनों के साथ उनके माता-पिता भी मौजूद रहे। बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी गलतियां स्वीकार कीं और विवाद को खत्म करने पर सहमति जताई।

शिमला जिला के चौपाल उपमण्डल निवासी मरीज अर्जुन सिंह पंवार ने कहा कि डॉक्टर साहब ने उनसे माफी मांगी है। उन्होंने यह भी माना कि इस पूरे विवाद की वजह से आम जनता को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। अर्जुन ने कहा कि वह इसके लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगते हैं। उनके शब्दों में यह साफ झलक रहा था कि वह इस प्रकरण को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहते हैं।

डॉ. राघव नरूला, जो सिरमौर जिला के पांवटा साहिब से हैं, ने भी सार्वजनिक रूप से विवाद समाप्त करने की बात कही। उन्होंने मीडिया के सामने मरीज अर्जुन को गले लगाया और कहा कि वे शुरू से ही इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते थे। डॉ. राघव ने कहा कि अब दोनों पक्ष अपनी-अपनी शिकायतें वापस ले लेंगे और यह मामला यहीं समाप्त होना चाहिए।

इस मौके पर दोनों परिवारों की भावनाएं भी सामने आईं। डॉ. राघव नरूला की मां ने कहा कि वह पहले दिन से यही कह रही थीं कि गलती दोनों तरफ से हुई है। उन्होंने कहा कि “दोनों बच्चे हमारे ही हैं” और ऐसे मामलों में सख्ती के बजाय समझदारी जरूरी होती है। वहीं, मरीज अर्जुन की मां ने भी सरकार का आभार जताया और कहा कि उनके लिए भी डॉक्टर और मरीज दोनों ही बच्चे हैं। उन्होंने खुशी जताई कि अब यह मामला सुलझ गया है।

अर्जुन के पिता ने इस समझौते का श्रेय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की वजह से उन्हें इंसाफ मिला। उन्होंने यह भी कहा कि चौपाल क्षेत्र के लोगों ने पूरे मामले में उनका समर्थन किया और आज उन्हें सुकून है कि दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि 22 दिसंबर को आईजीएमसी में जो घटना हुई थी, वह दुर्भाग्यपूर्ण थी। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेशभर में मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी, लेकिन सरकार ने शुरू से ही समाधान की दिशा में काम किया। नरेश चौहान ने कहा कि सरकार चाहती थी कि मामला शांतिपूर्ण तरीके से सुलझे और आज यह संभव हो पाया है।

बता दें कि राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए दोबारा जांच के आदेश भी दिए हैं। पिछले कल सोमवार को मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वास्थ्य मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर मामले की समीक्षा की और नई जांच समिति गठित करने का फैसला लिया।

दरअसल, यह पूरा विवाद 22 दिसंबर को शुरू हुआ था, जब चौपाल के रहने वाले अर्जुन पंवार इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला पहुंचे थे। अस्पताल के वार्ड में बेड को लेकर डॉक्टर और मरीज के बीच कहासुनी हुई, जो बाद में मारपीट में बदल गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे अस्पताल परिसर में तनाव फैल गया। सरकार ने जांच के बाद डॉक्टर और मरीज दोनों को दोषी माना और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव नरूला की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

डॉ. राघव की टर्मिनेशन के विरोध में प्रदेशभर के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इससे आईजीएमसी सहित कई अस्पतालों में ओपीडी और ऑपरेशन प्रभावित हुए। बाद में डॉक्टर की टर्मिनेशन वापस लेने के मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी।

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