देवभूमि में ईगास पर्व की धूम : CM धामी ने दी बधाई, कहा – लोक संस्कृति हमारी पहचान

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व एवं बूढ़ी दीपावली की बधाई देते हुए कहा कि हमारी लोक संस्कृति और परंपरा ही देवभूमि की पहचान है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य की लोक संस्कृति उसकी आत्मा होती है और इगास पर्व उसी आत्मा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने लोगों से लोक परंपराओं और संस्कृति को सहेजने व आगे बढ़ाने में सहभागी बनने की अपील की।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस प्रकार पूरे देश में सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना हो रही है, उसी तरह उत्तराखंडवासी भी आज अपने लोक पर्व ईगास को उत्साहपूर्वक मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईगास पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर लोगों को अपने पैतृक गांवों से जोड़ने का प्रयास किया गया है। उन्होंने युवा पीढ़ी से लोक संस्कृति से जुड़ने और प्रवासी उत्तराखंडवासियों से अपने गांवों में यह पर्व मनाने का आग्रह किया।

दिल्ली में अनिल बलूनी के आवास पर ईगास का भव्य आयोजन

गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी के नई दिल्ली स्थित आवास पर ईगास पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, एनएसए अजीत डोभाल, बाबा बागेश्वर धाम और गायक जुबिन नौटियाल समेत कई हस्तियां मौजूद रहीं। बलूनी के आवास पर शाम को पारंपरिक पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने रजत जयंती वर्ष में ईगास को यादगार बनाने का आह्वान किया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने सभी देवभूमिवासियों को ईगास की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने सांसदों, विधायकों, कार्यकर्ताओं और प्रवासी उत्तराखंडवासियों से अपने गांवों में ईगास मनाकर रजत जयंती वर्ष के ईगास को यादगार बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम सदियों पुरानी इस विरासत को नई पीढ़ी को सौंपें।

सांसद बंसल ने दी बधाई, कहा—युवा पीढ़ी को जड़ों से जोड़ने वाला पर्व

राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी ईगास-बग्वाल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है और युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक भैलो, नृत्य और पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू से गांव से लेकर शहर तक उत्सव का माहौल बनता है।

टिहरी में वीर माधो सिंह भंडारी की स्मृति में शुरू हुई परंपरा

ईगास पर्व के पीछे एक ऐतिहासिक मान्यता जुड़ी है। कहा जाता है कि टिहरी के वीर माधो सिंह भंडारी जब तिब्बत सीमा पर युद्ध लड़ने गए थे, तब दीपावली पर उनके न लौटने से लोगों ने उन्हें वीरगति प्राप्त मान लिया था। बाद में जब 11वें दिन उनके विजय संदेश के साथ लौटने की खबर आई, तब गांवों में उल्लास के साथ दीपोत्सव मनाया गया। तभी से ईगास पर्व मनाने की परंपरा आरंभ हुई।

बौराड़ी स्टेडियम में भव्य आयोजन की तैयारी

टिहरी के बौराड़ी स्टेडियम में शनिवार को ईगास पर्व का भव्य आयोजन होगा। इसमें 200 सामूहिक भैलो खेले जाएंगे और पारंपरिक व्यंजनों की प्रदर्शनी लगेगी। वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन और झुमैलो नृत्य प्रस्तुति मुख्य आकर्षण रहेंगे। विभिन्न विद्यालयों के बच्चे रंगोली प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। समिति अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल ने बताया कि कार्यक्रम को यादगार बनाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।

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