फर्रूखाबाद बंधक प्रकरण में मारे गये दंपत्ति की एकमात्र बेटी को IPS बनायेंगे आईजी अग्रवाल

आमतौर पर हमारे समाज में अपराधियों के बच्चों को घृणा से देखने की रवायत है। बहुत कम लोग हैं जो अपराधियों के बच्चों को मासूम या अबोध समझकर उनके साथ नरमी दिखाते हैं या उन्हें अपने ‘ बीते कल’ से आगे निकलने में मदद करते है। अधिकतर के मन में इस तरह के बच्चों के प्रति कुंठा और गुस्सा ही भरा रहता है। वो चाहते न चाहते हुए भी उन्हें उनके माँ-बाप द्वारा किए अपराधों से आगे नहीं देख पाते। ऐसे में वो गिने-चुने लोग, जो मानवता की सतह पर इन बच्चों में भविष्य ढूँढते हैं और उन्हें आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाते हैं, वो एक मिसाल होते हैं, जैसे कि कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल। जिन्होंने अभी हाल ही में फर्रूखाबाद में बच्चों को बंधक बनाने वाले आरोपित पति-पत्नी सुभाष बाथम और रूबी की एक साल की अनाथ बच्ची की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने और उसे अपनी ही तरह आईपीएस अधिकारी बनाने की बात कही है।

पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने ‘भाषा’ के साथ इस मामले पर बातचीत में जानकारी दी कि आरोपितों की अनाथ बच्ची को देखकर पुलिस विभाग का दिल पसीज गया। उन्होंने फिलहाल तो उसे फर्रूखाबाद की एक महिला पुलिस कर्मचारी रजनी के पास रखा है। लेकिन, उनकी ख्वाहिश है कि वे बच्ची को अपनी तरह एक आईपीएस अफसर बनाएँ। इस नेक काम के लिए उन्होंने बैंक में एक खाता भी खुलवा लिया है। जिसमें वे हमेशा पैसे डालेंगे ताकि गौरी (बच्ची) की शिक्षा और परवरिश में कोई दिक्कत ना आए। उनके अनुसार उन्होंने गौरी को गोद लेने के लिए देश-विदेश से कई लोगों ने संपर्क किया है।

मोहित अग्रवाल कहते हैं कि वह बिना पूरी जाँच और कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बगैर गौरी को किसी को नहीं दे सकते हैं। अगर कोई परिवार उसे गोद लेता भी है तो वह उसकी परवरिश पर व्यक्तिगत रूप से नजर रखेंगे। अग्रवाल ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि इस बच्ची को पुलिस में कार्यरत कोई दम्पत्ति गोद ले ले ताकि उसे बेहतर परवरिश मिल सके।

यहाँ बता दें कि बीती 30 जनवरी को फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के गाँव करथिया में अपनी पुत्री के जन्मदिन के बहाने शातिर सुभाष ने 24 बच्चों को अपने घर में बंधक बना लिया था। पुलिस ने करीब 9 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुभाष को रात के एक बजे मारकर उसके चंगुल से बंधक बच्चों को बचाया था। वहीं सुभाष की पत्नी रूबी भी गाँव से भागने के दौरान ग्रामीणों के हत्थे चढ़ी थी और मारी गई थी। दोनों पति-पत्नी की मौत के बाद उनकी बच्ची को अनाथालय में रखा गया था। लेकिन, अब आईजी की दरियादिली के कारण उसे जल्द एक घर और अच्छी परवरिश मिलेगी, ताकि वो भी अन्य बच्चों की तरह अपना भविष्य सँवार पाए।

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