पेल्विक व जेनाइटल टीबी होने पर सही उपचार के पश्चात गर्भधारण करना संभव -डॉ कजली

भास्कर समाचार सेवा

इटावा। टीबी की बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन यह फेफड़ों के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करती है जब टीबी का बैक्टीरिया प्रजनन मार्ग में पहुंच जाता है तो गर्भाशय, अंडाशय, योनि मार्ग, लिम्फ नोडस को प्रभावित करता है जिससे प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण जेनाइटल या पेल्विक टीबी हो जाती है | यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ शिवचरण हेंब्रम का ।
वह बताते हैं कि जेनाइटल या पेल्विक टीबी के संदर्भ में भ्रांतियों के कारण लोगों को सही जानकारी नहीं होती और महिलाएं भी यह सोचती हैं कि पेल्विक टीबी(फेलोपियन ट्यूब,गर्भाशय, योनि) होने की वजह से वह बच्चे को जन्म नहीं दे पाएंगी। पर यह सभी भ्रांतियां निराधार हैं सही समय पर इलाज और अच्छा खानपान बेहतर जीवनशैली से कोई भी जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाएं स्वस्थ होने के पश्चात गर्भधारण कर सकती है। –
डॉ हेंब्रम ने बताया पिछल दो वर्षों में जनपद की लगभग 16 महिलाएं जिनको गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब टीबी थी, उन्होंने अपना टीबी के इलाज का कोर्स पूरा किया स्वस्थ होने के पश्चात उनमें से कुछ महिलाओं ने इलाज के बाद गर्भ धारण किया और वर्तमान में उनका बच्चा और वह स्वस्थ हैं।जिला समन्वयक कंचन तिवारी ने बताया कि जेनाइटल टीबी से ग्रसित महिलाओं को इलाज के संदर्भ में सारी जानकारी दी जाती है और उनके साथ उनके घर वालों की काउंसलिंग भी करते हैं। जिससे कि मरीज के साथ किसी तरह का भेदभाव न किया जाए। उसे इलाज के साथ मानसिक रूप से सहयोग किया जाए जिससे वह जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाए। उन्होंने बताया लेकिन कभी-कभी मरीजों के साथ भेदभाव किया जाता है इसीलिए मैं लोगों से अपील करूंगी कि लोग टीबी से ग्रसित लोगों के साथ भावात्मक सहयोग अवश्य रखें।
पक्का बाग निवासी 28 वर्षीय अंजना (बदला हुआ नाम)बताती है लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व जांच के बाद मुझे पता चला मुझे फेलोपियन ट्यूब में टीबी है तो मैं मानसिक रूप से टूट गई।लेकिन मैंने टीबी अस्पताल आकर इलाज कराना शुरू किया । मैंने टीबी के इलाज का कोर्स पूरा किया जिसके बाद में स्वस्थ हुई और मैं दो माह पूर्व गर्भवती हुई हूं। मैं और मेरा गर्भस्थ शिशु दोनों ही स्वस्थ है।
विजय नगर निवासी 25 वर्षीय शाजिया (बदला हुआ नाम) ने बताया 2020 में मैंने प्राइवेट चिकित्सालय में जांच कराई तो पता चला मुझे गर्भाशय की टीबी है।उसके बाद टीबी अस्पताल आकर मैंने दिखाया यहां मुझे इलाज के संदर्भ में सही से जानकारी दी गई उसके बाद मैंने टीबी के इलाज का कोर्स पूरा किया और उसके कुछ माह बाद मैंने गर्भ धारण किया आज मैं और मेरी बच्ची पूर्णता स्वस्थ है।

पेल्विक व जेनाइटल टीबी के संबंध में विशेषज्ञ की राय

जिला महिला अस्पताल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ कजली गुप्ता ने बताया कि पेल्विक टीबी होने पर महिलाओं के जननांग प्रभावित होते हैं। फेलोपियन ट्यूब बंद हो जाते हैं जिससे परेशानियां बढ़ जाती हैं जिससे महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती। उन्होंने बताया कि गर्भाशय में टीबी होन पर गर्भाशय की अंदर की लाइनिंग परत पतली हो जाती है।जिससे गर्भ पूर्ण विकसित होने में मुश्किल होती है। इसलिए टीबी का सही से समय पर इलाज कराया जाए। साथ ही पौष्टिक भोजन और योगा व्यायाम स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाए तो कोई भी महिला स्वस्थ होने के बाद गर्भधारण कर सकती है। उन्होंने बताया कि जिन किशोरीयों को मासिक धर्म कम होता है या अनियमित रूप से हो रहा है और यह समस्या लंबे समय रहे तो वह सतर्कता बरतें और वह अपना चैकअप अवश्य कराएं क्योंकि इस तरह की समस्या लंबे समय तक रहने पर जेनिटल टीबी का खतरा हो सकता है।उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में लगभग प्रतिवर्ष 10 -12 महिलाओं जिनको जेनाइटल टीबी से ग्रसित होने के बाद इलाज के बाद स्वस्थ होने के पश्चात गर्भधारण कर उनका जिला अस्पताल में सफलतापूर्वक प्रसव कराया जाता है।

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