हमारा देश भारत तेजी से तरक्की कर रहा है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। हालांकि शायद यह सालों पहले ही चुका होता और हम आज से कहीं अधिक विकसित होते। लेकिन एक के बाद एक हुए घोटाले भारत की तरक्की पर ब्रेक लगाते गए और हमारा देश पिछड़ता चला गया।
भारत में हुए घोटालों की लंबी लिस्ट है। आज हम आपके लिए देश में हुए 10 सबसे बड़े घोटालों की लिस्ट लेकर आए हैं।
1.) जीप घोटाला:
आजादी के तुरंत बाद ही देश में घोटाले होने शुरू हो चुके थे। पहला बड़ा घोटाला हुआ साल 1948 में, पाकिस्तान से युद्ध के बाद भारतीय सेना को जीपों की जरूरत थी। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चहेते और ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन ने अपने पद का इस्तेमाल कर जीपों का ऑर्डर एक ऐसी कंपनी को दे दिया, जिसमें महज 2-3 कर्मचारी ही थे। यहां तक कि उस कंपनी को नाम मात्र की पूंजी के साथ खड़ा किया गया था।
300 पाउंड प्रति जीप के हिसाब से 1500 जीपों के लिए आदेश दिए गए थे, लेकिन साल 1949 तक महज 155 जीपें ही भारत पहुंच पाईं। इनमें भी ज्यादातर जीपें तय मानकों पर खरी नहीं उतरीं। भारतीय उच्चायुक्त वीके मेनन पर आरोप लगे। इसके बाद संसद में हंगामा हुआ तो सरकार को जांच करानी पड़ी। लेकिन फिर जांच के बाद साल 1955 में अचानक से इस केस को बंद कर दिया गया। जिस मेनन पर घोटाले के आरोप लगे थे उन्हें नेहरू से इनाम मिला और कैबिनेट में मंत्री बना दिया गया।
2.) मूंदड़ा घोटाला:
मूंदड़ा घोटाला आजाद भारत का पहला वित्तीय घोटाला था। इस घोटाले को उजागर किया था जवाहरलाल नेहरू के दामाद और इंदिरा गांधी के पति फिरोज जहांगीर गंधी ने। साल 1957 में हुए हुए इस घोटाले में व्यापारी से लेकर अफसर और सरकार सबकी मिली भगत थी। कोलकाता के व्यापारी और सटोरिये हरिदास मूंदड़ा ने LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) से जुड़े अफसरों और सरकार में बैठे वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी से लेकर अफसरों तक को साध लिया और अपनी 6 कंपनियों के शेयर ऊंचे दाम में खरीदने के लिए। सरकार के दबाव में LIC ने ऐसा ही किया। मामला जब खुला तो वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी समेत अन्य अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ा और सटोरिये हरिदास मूंदड़ा को 22 साल के लिए जेल जाना पड़ा।
3.) बोफोर्स घोटाला:
भारतीय सेना को ताकतवर बनाने के लिए साल 1986 में राजीव गांधी सरकार ने स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपए की डील की थी। एक साल बाद, 16 अप्रैल 1987 को एक स्वीडिश रेडियो स्टेशन ने दावा किया कि कंपनी ने भारत से तोपों की डील हासिल करने के लिए भारत के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को रिश्वत दी थी। रिश्वत की रकम 40 मिलियन डॉलर थी। आरोप सीधा सरकार पर था। इसलिए राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर चुनाव हुए तो राजीव गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से कांग्रेस लगातार डूबती चली गई और आज तक उबर नहीं पाई है।
4.) हर्षद मेहता घोटाला:
90 के दशक में हर्षद मेहता का ऐसा नाम था जिसने देश के शेयर बाजार को बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। देश आर्थिक सुधार के दौर में था। शेयर बाजार के लेन-देन पर नजर रखने वाली संस्था सेबी और बैंकों के लेन-देन पर नजर रखनी वाली संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI के नियम कड़े तो थे लेकिन उनसे बचने के कई तरीके भी थे। इसी का फायदा उठाकर हर्षद मेहता ने 4000 करोड़ रुपए का घोटाला कर दिया था। हर्षद मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिये की तरह काम करते हुए RBI के साथ आँख मिचौली का खेल खेल रहा था। बैंक से पैसा लेकर वह सीधे शेयर बाजार में लगाता था। हर्षद मेहता जिस भी शेयर को खरीदता, उसके धाम बढ़ने लगते। फिर शेयर बेचकर बैंक को पैसा वापस कर देता। लेकिन उसका यह खेल ज्यादा दिन तक नहीं चला और जब सच सामने आया तो शेयर मार्केट धड़ाम हो गया। जांच हुई तो हर्षद मेहता को 5 साल की सजा हुई। जहां जेल में ही उसकी मौत हो गई।
5.) कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला:
साल 2010 में भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी मिली थी। दुनिया भर के खिलाड़ी भारत खेलने आए थे। यह देश के लिए गर्व की बात होनी चाहिए थी। लेकिन कांग्रेस नेता और कॉमनवेल्थ गेम्स समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के कारनामों के चलते दुनिया भर में भारत को बदनामी झेलनी पड़ी। कॉमनवेल्थ के आयोजन के लिए 1600 करोड़ का बजट रखा गया था। इसके बाद ये बजट बढ़ते-बढ़ते 11 हजार करोड़ का हो गया। इसके बाद भी इस पूरे आयोजन में हजारों कमियां पाई गईं। खिलाड़ियों के रहने से लेकर स्टेडियम तक के हाल बदहाल थे। टॉयलेट पेपर से लेकर टीवी तक की खरीदी में घपला किया गया था। लगभग हर सामान कई 100 गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया था। मसलन, 100 रुपए का टॉयलेट पेपर 4000 रुपए में खरीदा गया था। यह पूरा घोटाला 70 हजार करोड़ रुपए का था। इसमें कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। कलमाड़ी को जेल भी जाना पड़ा। लेकिन फिलहाल वह जमानत पर बाहर है।
6.) सत्यम कंप्यूटर्स घोटाला:
साल 2009 में सामने आया 7000 करोड़ रुपए का सत्यम कंप्यूटर्स घोटाला भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट घोटालों में से एक है। सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक और चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू ने कंपनी के शेयरों की कीमत बढ़ाने और मुनाफा कमाने के लिए निवेशकों से लगातार झूठा बोला और कंपनी के रिकॉर्ड में फर्जी मुनाफा और नकदी दिखाता रहा। कंपनी से होने वाले मुनाफे से वह देश भर के अलग-अलग हिस्सों में संपत्तियाँ खरीदता जा रहा था। जब यह मामला खुला तो 7000 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इसके बाद रामलिंगा राजू और उसके साथियों को 5 करोड़ के जुर्माने के साथ 7 साल की सजा सुनाई गई।
7.) कोयला घोटाला:
कोयला आवंटन घोटाला या ‘कोलगेट’ घोटाला साल 2012 में मनमोहन सिंह सरकार में सामने आया था। CAG ने यूपीए सरकार पर 2004 से लेकर 2009 के बीच अवैध रूप से 194 कोयला ब्लॉक आवंटित करने का आरोप लगाया था। इसमें सरकारी अफसरों से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक से पूछताछ की गई थी। CAG ने शुरुआत में इस घोटाले से सरकार को 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया था। हालांकि अंतरिम रिपोर्ट में घोटाले की राशि 1.86 लाख करोड़ रुपए बताई गई थी।
8.) नीरव मोदी-पीएनबी बैंक घोटाला:
नीरव मोदी 14000 करोड़ रुपए के पीएनबी बैंक घोटाले का आरोपी है। इसमें नीरव के साथ ही उसका चाचा मेहुल चोकसी भी शामिल था। नीरव मोदी ने साल 2018 में, 8 किश्तों में 14000 करोड़ रुपए का लोन लिया था। लेकिन लोन चुकाने से पहले ही वह भारत से फरार हो गया। इसके बाद PNB बैंक ने उस पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया। इस मामले में सीबीआई ने भी उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। साल 2019 में नीरव मोदी को लंदन में ब्रिटेन की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अगस्त 2019 में सीबीआई ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए अर्जी लगाई। ब्रिटेन की निचली अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी, लेकिन साल 2021 में नीरव मोदी ने इस फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामला अब भी कोर्ट में है।
9.) DHFL घोटाला:
डीएचएफएल घोटाला देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड में से एक है। इस घोटाले के जरिए DHFL ने देश के 17 बैंकों को 34000 करोड़ रुपए का चूना लगाया। जांच में पता चला कि DHFL लोगों को लोन देती थी। इस कंपनी के मालिक वाधवन भाइयों ने अपनी ही 66 कंपनियों को करीब 34000 करोड़ रुपए का लोन दे दिया। लोन देने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। सीधे तौर पर कहें तो कपिल और धीरज वधावन ने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बैंकों के पैसे का गलत इस्तेमाल किया। दिलचस्प बात यह है कि जिन कंपनियों को लोन दिया गया वे सभी सिर्फ कागज पर ही थीं। DHFL ने शाहरुख खान को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था। इसलिए भी यह केस लंबे समय तक चर्चा में रहा।
10.) महादेव ऐप घोटाला:
महादेव ऐप के जरिए लोग गेम खेलने के साथ ही पैसे लगाकर सट्टेबाजी करते थे। इसमें HPZ जैसे अन्य ऐप भी शामिल थे। इस ऐप के प्रमोटर्स सेलिब्रिटी के जरिए भी लोगों को गेम खेलने के लिए प्रेरित करते थे। करीब 15000 करोड़ रुपए के इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल से लेकर कपिल शर्मा, रणबीर कपूर, टाइगर श्रॉफ, तमन्ना भाटिया, भारती सिंह समेत कई अन्य सेलिब्रिटी का नाम शामिल है।