बलूचिस्तान अलग हुआ तो पाकिस्तान के टुकड़े होना तय, हाथ से जाएगा सोना और तांबा..पढ़ें इनसाइड स्टोरी

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच बलूचिस्तान एक बार फिर से सुर्खियों में है. यहां बलूच विद्रोहियों ने एक के बाद एक कई हमले कर पाकिस्तानी सेना को बैकफुट पर ला दिया है. इस बीच एक बड़ा सवाल उठता है – अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग हो गया, तो क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बिखर जाएगी?

असल में, बलूचिस्तान सिर्फ पाकिस्तान का एक प्रांत नहीं, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. खनिज संपदा से लेकर कृषि और पर्यटन तक, इस इलाके में सब कुछ है जो पाकिस्तान को टिकाए हुए है. आइए विस्तार से जानते हैं कि बलूचिस्तान की अहमियत पाकिस्तान के लिए कितनी बड़ी है. 

पाकिस्तान का सबसे बड़ा और रणनीतिक प्रांत

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो कुल भू-भाग का करीब 44% हिस्सा कवर करता है. यह ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से सटा हुआ है, जिससे इसकी रणनीतिक स्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. यही वजह है कि यहां की गतिविधियां पाकिस्तान की सुरक्षा और विदेश नीति पर सीधा असर डालती हैं.

खनिज संपदा का खजाना

बलूचिस्तान को खनिजों की खान कहा जाता है. यहां करीब 5.9 बिलियन टन खनिज मौजूद हैं जिनमें सोना और तांबा प्रमुख हैं. रेको दिक क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े स्वर्ण और तांबे के भंडारों में गिना जाता है.

60 मिलियन औंस (लगभग 1,700 टन)

तांबा: अनुमानित मूल्य – 174.42 लाख करोड़ रुपये

बलूचिस्तान के अलग होते ही पाकिस्तान इन खजानों से हाथ धो बैठेगा, जिससे अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त असर पड़ेगा.

ऊर्जा संकट में डूबेगा पाकिस्तान

बलूचिस्तान पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस आपूर्ति का बड़ा स्रोत है. अगर यह प्रांत अलग होता है तो पाकिस्तान को ऊर्जा के लिए महंगे विदेशी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ेगा. इससे देश में ऊर्जा संकट और गहराएगा.

कृषि में भी सबसे आगे

बलूचिस्तान पाकिस्तान की ‘फल की टोकरी’ कहा जाता है. यहां अंगूर, चेरी, बादाम, आड़ू और खजूर जैसे फलों का सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है.

90% चेरी, अंगूर, बादाम

60% खुबानी, आड़ू, अनार

70% खजूर

34% सेब

मकरान डिवीजन में हर साल 4.25 लाख टन खजूर का उत्पादन होता है. इसका नुकसान पाकिस्तानी फूड इंडस्ट्री पर सीधा असर डालेगा.

पर्यटन से भी होती है कमाई

बलूचिस्तान का पर्यटन क्षेत्र भी बेहद समृद्ध है. मेहरगढ़ सभ्यता, ज़ियारत की कायद-ए-आज़म रेजिडेंसी, और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल यहां स्थित हैं. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पर्यटन क्षेत्र का 8.3 ट्रिलियन डॉलर का योगदान है. अगर इन स्थलों को विकसित किया जाए तो बलूचिस्तान पर्यटन से करोड़ों की कमाई कर सकता है.

CPEC और सुरक्षा संकट

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) बलूचिस्तान से होकर गुजरता है. ऐसे में बलूचिस्तान का अलग होना पाकिस्तान के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक दोनों ही स्तरों पर भारी नुकसानदायक होगा. चीन के साथ रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं और पाकिस्तान की भू-राजनीतिक स्थिति कमजोर पड़ सकती है.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

दीपिका चिखलिया बन सकती थीं ‘राम तेरी गंगा मैली’ की हीरोइन, लेकिन किस्मत ने बनाया ‘सीता’ MS Dhoni बोले : मुझे जवाब देने की जरूरत नहीं, मेरी फैन फॉलोइंग ही काफी है साई सुदर्शन ने जड़ा धमाका, टी-20 में बिना जीरो आउट हुए बनाए सबसे ज्यादा रन सेना के नये कमांडर होंगे एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी भारत से अधूरे इलाज के बाद लौटे पाकिस्तानी किशोर की गुहार, बोला- पीएम मोदी मेरी मां को कराची लौटने दें