मैं कहीं नहीं जा रहा, बंगाल को हिंसा मुक्त बनाने के मिशन पर और तेज़ी से काम करूंगा : राज्यपाल सी वी आनंद बोस

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने सोमवार को राज्य से उन्हें हटाए जाने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह अपने मिशन पर और अधिक जोश के साथ आगे बढ़ेंगे ताकि बंगाल की “खोई हुई प्रतिष्ठा” को फिर से बहाल किया जा सके और राज्य को हिंसा से मुक्त किया जा सके।

हृदय संबंधी बीमारी के चलते लगभग एक महीने अस्पताल में बिताने के बाद गत 27 मई को राजभवन लौटे राज्यपाल बोस ने कहा कि वह जल्द ही ग्रामीण इलाकों का दौरा शुरू करेंगे, विशेषकर मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का, ताकि समुदायों के बीच फिर से भाईचारा कायम किया जा सके।

राज्यपाल बोस ने सोमवार को राजभवन में कहा, “बंगाल ने मुझे एक नई ज़िंदगी दी है। मैं गांव-गांव जाऊंगा और विभिन्न समुदायों के बीच मित्रता और सौहार्द स्थापित करने के लिए काम करूंगा, साथ ही हिंसा के खिलाफ सख़्ती से लड़ूंगा। मुझे अभी बहुत काम करना है।”

74 वर्षीय बोस ने माना कि उन्हें इन अटकलों से थोड़ा बहुत कष्ट जरूर हुआ, लेकिन दिल्ली के “जिम्मेदार हलकों” ने उन्हें इन अफवाहों को नजरअंदाज करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “आपने जब यह सवाल किया तो मैं बताना चाहता हूं कि मुझे दिल्ली से फोन आया था। उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दूं और अपने काम पर पूरी ताक़त से जुट जाऊं। मुझे स्पष्ट निर्देश मिला है कि जो मिशन मैंने यहां शुरू किया है, उसे पूरी रफ्तार से आगे बढ़ाऊं।”

उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता की समस्याओं के समाधान के लिए वह लगातार लोगों के बीच जाएंगे और राज्य को हिंसा मुक्त बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित रहेंगे। हालांकि, डॉक्टरों ने फिलहाल उन्हें कुछ दिन तक काम की गति धीमी रखने की सलाह दी है। उन्होंने बताया, “डॉक्टरों ने कुछ दिन तक धीमे चलने को कहा है, क्योंकि मैं रोज़ 20 घंटे तक काम करता था। पहले भी, जब इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं थी, तब भी मैं रोज़ 16 घंटे काम करता था। यह मेरे स्वभाव का हिस्सा है।”

राज्यपाल ने बताया कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अप्रैल में मुर्शिदाबाद और मालदा में हुए विरोध-प्रदर्शनों में हुई हिंसा से वह बेहद व्यथित हैं। उस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। उन्होंने कहा, “खासकर महिलाओं ने जो कहानियां सुनाईं, वे इतनी विचलित करने वाली थीं कि कोई भी सभ्य इंसान सुनकर हिल जाएगा। लोगों को चुपचाप अत्याचार सहना पड़ा। उन्हें लगा कि उनके पास कोई सहारा नहीं है, कोई सुनने वाला नहीं है।”

बोस ने कहा कि बंगाल कभी देश में बौद्धिक नेतृत्व करता था, लेकिन हिंसा और भ्रष्टाचार ने उसकी इस प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “बंगाल एक महान राज्य है जिसकी समाजिक चेतना और संस्कृति ऊंचे स्तर की है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं कि जो बंगाल आज सोचता है, वही भारत कल सोचता है। लेकिन दशकों से बंगाल हिंसा और भ्रष्टाचार के कारण पिछड़ गया है। चुनावों के दौरान राजनीतिक दल हिंसा का उपयोग सत्ता और वोट के लिए करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान वह यह सुनिश्चित करेंगे कि मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो। उन्होंने कहा, “हमारे लोकतंत्र की सबसे अहम विशेषता चुनाव है। राज्यपाल का मुख्य दायित्व संविधान की रक्षा करना है। इसलिए चुनाव के दौरान मेरी भूमिका और अधिक उपयुक्त और प्रमुख होगी। मैं सुनिश्चित करूंगा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों, चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में किसी तरह का हस्तक्षेप न हो।”

जब उनसे पूछा गया कि राज्य सरकार एक संवैधानिक संशोधन लाने पर विचार कर रही है ताकि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों पर फैसला लेने में देर न कर सकें, तो उन्होंने कहा, “राजभवन में एक भी विधेयक लंबित नहीं है, सिवाय उन विधेयकों के जो राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं। मैं यह नहीं कहूंगा कि राज्य सरकार क्या करना चाहती है, लेकिन मैं साफ़ कर देना चाहता हूं कि कोई विधेयक मेरे पास लंबित नहीं है।”

राज्य में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के आंदोलन पर राज्यपाल ने कहा कि उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “आंदोलन लोकतंत्र का हिस्सा है। जब अदालत हस्तक्षेप करती है, तो हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि न्याय होगा। मुझे विश्वास है कि संबंधित पक्ष सभी उपाय करेंगे ताकि इस मुद्दे का समुचित समाधान निकल सके।”

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