
महाराष्ट्र में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के प्रोटोकॉल उल्लंघन की घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह घटना उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लिए भी चिंता का विषय बन गई है, जिन्होंने इसे संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान की कमी के रूप में देखा। धनखड़ ने इस मुद्दे पर गवई का समर्थन करते हुए कहा कि नौकरशाही संवैधानिक पदों का सम्मान नहीं करती।
घटना का विवरण
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की महाराष्ट्र यात्रा के दौरान राज्य के शीर्ष अधिकारियों द्वारा उनका स्वागत नहीं किया गया। इससे गवई ने अपने भाषण में प्रोटोकॉल उल्लंघन की ओर इशारा किया और कहा कि यह न्यायपालिका के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है। इसके बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को गंभीरता से लिया और अधिकारियों से माफी दिलवाई।
उपराष्ट्रपति का समर्थन
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस घटना पर गवई का समर्थन किया और कहा कि यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक ढर्रा बन चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि नौकरशाही संवैधानिक पदों का सम्मान नहीं करती और यह स्थिति चिंताजनक है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने इस घटना को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की। उन्होंने इसे न्यायपालिका के प्रति सम्मान की कमी और राजनीतिक पूर्वाग्रह का परिणाम बताया।
सीजेआई का बयान
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि वह प्रोटोकॉल के लिए आग्रह नहीं कर रहे थे, लेकिन यह घटना न्यायपालिका और लोकतंत्र के स्तंभों के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाती है।
भविष्य की दिशा
इस घटना ने संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान की आवश्यकता को उजागर किया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि उनके उत्तराधिकारी के पास उपराष्ट्रपति की तस्वीर हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन और सम्मान की आवश्यकता को रेखांकित करती है। संविधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।















