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लखनऊ डेस्क: हम सभी जानते हैं कि जितना मजबूत ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम होगा, उतना ही देश का विकास होगा। इसी कारण, सरकार ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ऐसे में आज हम आपको देश में तेजी से बदल रही परिवहन व्यवस्था के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके माध्यम से आप महज 30 मिनट में दिल्ली से जयपुर पहुंच सकते हैं। यह सुनकर आपको यकीन नहीं हो सकता, लेकिन यह संभव हो सकता है “हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक” के कारण, जिसे IIT मद्रास ने रेल मंत्रालय की मदद से तैयार किया है। यह ट्रैक अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है, और इसकी जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। इस ट्रैक की लंबाई 422 मीटर है, और रेल मंत्री ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो भी साझा किया है। तो आइए, सबसे पहले जानते हैं कि यह हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक क्या है?
हाइपरलूप एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें ट्रेन को एक खास ट्यूब में बेहद तेज गति से चलाया जाता है। इस तकनीक की मदद से यात्रियों को तेज और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा। अगर परीक्षण सफल होता है, तो यह तकनीक भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को पूरी तरह से बदल सकती है। हाइपरलूप एक हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जिसमें पॉड्स को वैक्यूम ट्यूब के भीतर चुंबकीय तकनीक से चलाया जाता है। क्योंकि इस प्रणाली में घर्षण और वायुगतिकीय दबाव नहीं होता, पॉड्स 1100 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, इस प्रणाली में ऊर्जा की खपत बहुत कम होती है और यह लगभग शून्य प्रदूषण पैदा करती है। हाइपर लूप ट्रेन बुलेट ट्रेन को भी रफ़्तार में पछाड़ देगी क्योंकि हाइपर लूप की रफ़्तार कहीं ज़्यादा है।
अब जानते हैं कि भविष्य में इस ट्रैक का ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पर कितना प्रभाव पड़ेगा। यह हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक IIT मद्रास और रेल मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है। इस परियोजना को रेल मंत्रालय ने फंड किया है और पूरी दुनिया में इस तकनीक पर काम चल रहा है। रेल मंत्री के अनुसार, यदि यह ट्रैक कमर्शियल ट्रांसपोर्टेशन के लिए तैयार होता है, तो हम यह निर्णय लेंगे कि इसे कहां-कहां इस्तेमाल किया जा सकता है।