14 जून। गलवान शौर्य दिवस के प्रथम वार्षिक स्मृति समारोह की पूर्व संध्या पर भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) ने आज भारतीय सेना के पराक्रम की यशोगाथा में समा बांध दिया। संघ के आज के कार्यक्रम में सुमधुर गीतों के माध्यम से चीन को चेतावनी दी गई, वहीं तिब्बत की स्वतंत्रता और भोले बाबा के मूल स्थान कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति के लिए कई संगीतबद्ध प्रस्तुतियां की गई।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम को कानपुर से प्रस्तुत किया गया, जिसे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देखा गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कानपुर बुंदेलखंड प्रांत के प्रभारी संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि चीन के साम्राज्यवाद के दिन अब खत्म होने को आ गए हैं। उन्होंने कहा कि खुराफाती चीन देश की सीमा केवल 14 देशों से मिलती है लेकिन उसने सीमा विवाद 26 देशों से कर रखा है। दुष्ट मानसिकता का देश चीन कभी भी भारत का पड़ोसी नहीं रहा और समूचे तिब्बत की साढ़े 12 लाख वर्ग किलोमीटर की भूमि हड़प कर अब वह हम लोगों को परेशान करने में लगा है इसलिए इस को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजित अग्रवाल ने कहा कि यह कार्यक्रम देश में किसी भी संस्था द्वारा गलवान के वीरो की स्मृति में पहला कार्यक्रम है इसलिए यह ऐतिहासिक है, उसी तरह जैसे कि गलवान में भारत के सैनिकों ने चीनी सैनिकों को पहली बार दौड़ा-दौड़ा कर मारा, जिससे चीन अब तक सहमा हुआ है। इसीलिए हमने इस कार्यक्रम का नाम गलवान विजय हुंकार दिवस रखा। कार्यक्रम संयोजक प्रखर त्रिपाठी ने कहा कि चीन तो भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है और जब तक तिब्बत को वह खाली करके चीन की दीवार के पीछे नहीं जाता, खतरा बना रहेगा। इसके लिए हम सब भारतवासियों को एक बड़ा और आक्रामक जन आंदोलन खड़ा करना होगा।
आज के इस आयोजन में गायक सिद्धांत वर्मा, मनीषा द्विवेदी, मोहम्मद सलमान के साथ-साथ ऑर्केस्ट्रा पर सहयोग दीपक राजपूत, मनीष कुमार आदि ने किया। इन देश भक्ति के प्रस्तुत क्रन्तिकारी आह्वान गीत भी अजीत अग्रवाल के निर्देशन में तैयार किए गए थे।
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