मर गई इंसानियत….कलयुगी मां की हैवानियत: बेटी को बोझ समझकर झाड़ियों में फेंका, जब आई रोने की आवाज…


-नवजात के रोने की आवाज सुन किसान ने बचाई जान
-झाड़ियों से निकाल कर घर ले गए, देखभाल की
 
कानपुर देहात। रसूलाबाद क्षेत्र के लाल गांव में इंसानियत को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है। पुलिया के पास झाड़ियों में एक नवजात बच्ची लावारिस हालत में पड़ी मिली। गनीमत रही कि समय रहते एक किसान परिवार की नजर उस पर पड़ गई, जिसने बच्ची की जान बचा ली।


लालगांव निवासी किसान रामबाबू अपने बेटे राहुल के साथ खेत में खाद डालने गए थे। तभी पुलिया के पास झाड़ियों से रोने की आवाज सुनाई दी। राहुल ने नजदीक जाकर देखा तो वह दंग रह गया। झाड़ियों के बीच एक नवजात बच्ची बिना कपड़ों के पड़ी हुई थी। राहुल ने बिना देरी किए अपने घर जाकर मां कुसमा देवी, चाची शारदा देवी और बहन रजनी को सूचना दी। परिजन और गांव की अन्य महिलाएं मौके पर पहुंचीं। शारदा देवी ने बच्ची को झाड़ियों से निकाला और साफ-सफाई कर उसे घर ले आईं। जैसे ही गांव में यह खबर फैली, राहुल के घर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। लोग उस कलयुगी मां को कोसते नजर आए। जिसने बेटी को जन्म देते ही मरने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया।
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बिन ब्याही मां की हो सकती है ये करतूत
कुसमा देवी ने बताया कि अभी तक बच्ची के माता-पिता का कोई पता नहीं चल सका है। अगर कोई बच्ची को गोद लेना चाहेगा तो वे विचार कर सकते हैं। ग्रामीणों ने इस घटना पर कहा कि ये बिन ब्याही मां की करतूत हो सकती है। ग्रामीणों ने नवजात को फेंकने वाली महिला की जल्द पहचान कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। कई महिलाओं ने कहा कि जहां सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चला रही है, वहां कुछ लोग आज भी बेटियों को बोझ समझते हैं। यह समाज के लिए शर्मनाक है। गांव में दिनभर इस घटना को लेकर चर्चा होती रही। वहीं किसान परिवार की मानवता और संवेदनशीलता की सभी प्रशंसा कर रहे हैं।

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