कैंची धाम में श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ : 24 लाख दर्शनार्थियों के बाद व्यवस्थाओं पर मंथन में जुटा प्रशासन

देहरादून/नैनीताल : प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कैंची धाम में श्रद्धालुओं की संख्या हर साल रिकॉर्ड तोड़ रही है। अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच करीब 24 लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किए, जो पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना से अधिक है। लगातार बढ़ती भीड़ और व्यवस्थाओं पर बढ़ते दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक की।

बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि तात्कालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाएं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े और भीड़ प्रबंधन, ट्रैफिक नियंत्रण व मूलभूत सुविधाएं बेहतर की जा सकें।

व्यवस्थाओं में सुधार के लिए तीन स्तरों पर योजना

सीएम धामी ने कहा कि तात्कालिक उपायों के ज़रिए आगामी 15 जून से शुरू होने वाले कैंची धाम मेले को सुचारू रूप से संचालित किया जाए। वहीं, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं इस धार्मिक स्थल के स्थायी विकास और मजबूत व्यवस्था के लिए हों।

उन्होंने सेनेटोरियम से भवाली पेट्रोल पंप तक 3 किलोमीटर में चल रहे कटिंग कार्य को भी जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए ताकि यातायात व्यवस्था में सुधार हो सके और मेले के दौरान जाम की समस्या से राहत मिल सके।

श्रद्धालुओं की भीड़, सीमित जगह – प्रशासन के सामने चुनौती

नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने बताया कि कैंची धाम की क्षमता काफी सीमित है, जबकि श्रद्धालुओं की संख्या हर साल इसके कई गुना बढ़ जाती है। इस बार ढाई लाख से तीन लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिसको लेकर ट्रैफिक प्लान और भीड़ नियंत्रण की विशेष रणनीति तैयार की गई है।

रजिस्ट्रेशन और संख्या सीमा पर विचार

डीएम वंदना सिंह ने बताया कि भविष्य में श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू करने और दैनिक दर्शनार्थियों की अधिकतम सीमा निर्धारित करने पर विचार किया जा रहा है। इससे यात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और श्रद्धालु-अनुकूल बनाया जा सकेगा।

15 जून से शुरू हो रहा है प्रसिद्ध मेला

हर साल 15 जून को आयोजित होने वाला कैंची धाम मेला न केवल उत्तराखंड, बल्कि देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस बार बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए प्रशासन युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटा है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और मेले का शांतिपूर्ण आयोजन सुनिश्चित किया जा सके।

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