
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज शाम 4 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया जाएगा। इसी दौरान यह भी स्पष्ट होगा कि चुनाव कितने चरणों में संपन्न होंगे। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार आयोग कम चरणों में मतदान कराने की योजना बना रहा है। ऐसा फैसला राजनीतिक दलों से मिली प्रतिक्रिया और सुरक्षा व प्रशासनिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर लिया गया है। आइए समझते हैं कि चुनाव आयोग किसी राज्य में मतदान के चरण कैसे तय करता है और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक और रणनीतिक आधार होता है।
चुनाव कराने का रणनीतिक और वैज्ञानिक आधार
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में चुनाव कराना आसान काम नहीं है। हर राज्य की भौगोलिक, सामाजिक और सुरक्षा स्थितियां अलग होती हैं। इसलिए चुनाव आयोग यह तय करता है कि किसी राज्य में चुनाव एक चरण में होंगे या कई चरणों में। यह सिर्फ राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि सुरक्षा और प्रबंधन पर आधारित वैज्ञानिक निर्णय होता है।
किन आधारों पर तय होते हैं चरण
चुनाव आयोग केंद्रीय गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और राज्य प्रशासन से रिपोर्ट लेता है। इन रिपोर्टों में यह बताया जाता है कि कौन से इलाके संवेदनशील या नक्सल प्रभावित हैं, कहां कानून-व्यवस्था का खतरा है और सुरक्षा बलों की उपलब्धता कितनी है। इन आंकड़ों के आधार पर यह तय किया जाता है कि पूरे राज्य में एक साथ मतदान संभव है या नहीं।
एक चरण या कई चरण क्यों
- सुरक्षा और संसाधन: जिन राज्यों में सुरक्षा स्थिति स्थिर और संसाधन पर्याप्त हैं, वहां चुनाव अक्सर एक ही चरण में संपन्न होते हैं, जैसे केरल, तमिलनाडु और गोवा।
- भौगोलिक और संवेदनशील क्षेत्र: बड़े और संवेदनशील राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में कई चरणों में मतदान कराया जाता है।
- सुरक्षा बलों की सीमित संख्या: एक चरण के बाद वही बल दूसरे क्षेत्र में तैनात किए जाते हैं, इसलिए बड़े राज्यों में चुनाव का शेड्यूल लंबा हो जाता है।
- मौसम: बारिश, बर्फबारी या अन्य मौसमीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तारीखें तय की जाती हैं।
सामाजिक और प्रशासनिक कारक
चुनाव आयोग यह भी देखता है कि मतदान के दौरान अर्धसैनिक बल कितने केंद्रों की निगरानी कर सकते हैं और प्रशासनिक ढांचा किस हद तक सक्षम है। इसके आधार पर ही यह तय होता है कि चुनाव एक चरण में होंगे या कई।
अंततः, प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग पूरे चुनावी शेड्यूल की घोषणा करेगा, जिसमें मतदान की तारीखें, चरण और मतगणना की तारीख शामिल होगी। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य है कि चुनाव सुचारू, सुरक्षित और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हों।