
- कौवों की घटती तादाद को लेकर श्रद्धालुओं में चिंता का भाव
- श्रद्धालुओं की अपील, पक्षी संरक्षण में ठोस कदम उठाएं जिम्मेदार
Bilhaur, Kanpur : पितृ पक्ष के दिनों में भोजन की लालसा के बीच कौवों की कांव–कांव का शोर गायब है। आलम यह है कि नगरीय क्षेत्रों में कौवों की तादाद लगभग विलुप्ति की कगार पर है, जबकि ग्रामीण अंचल में इक्का–दुक्का कौवे भोजन ग्रहण कर श्रद्धालुओं को संतोष प्रदान कर रहे हैं।
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के अवसर पर पूर्वजों को तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा के मुताबिक कौवों को भोजन कराना शुभ माना जाता है, लेकिन इस बार बिल्हौर तहसील क्षेत्र में कौवों का अभाव देखा जा रहा है। श्रद्धालु बताते हैं कि प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के दिनों में घरों और मंदिरों के आसपास कौवों का जमावड़ा रहता था, लेकिन इस बार भोजन निकालकर घंटों प्रतीक्षा करने के बावजूद कौवे नदारद हैं।
परंपरानुसार, कौवों को अन्न अर्पित करना पितरों को तृप्त करने का एक माध्यम माना जाता है। बुज़ुर्गों का कहना है कि कौवों की कमी से परंपरा निभाने में कठिनाई हो रही है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि पर्यावरण असंतुलन, बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों की कटाई के कारण कौवों की संख्या में कमी आ रही है।
उन्होंने प्रशासन और जिम्मेदार विभाग से अपील की है कि पक्षियों के संरक्षण की ठोस व्यवस्था की जाए, ताकि परंपराएँ जीवित रह सकें और प्रकृति का संतुलन भी कायम रह सके।
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