सूनामी से उजड़ा घर, पर उम्मीदों ने नहीं छोड़ा साथ: दो बहनों की संघर्ष और सफलता की प्रेरक कहानी

लखनऊ डेस्क: सूनामी में घर बह जाने के बाद भी नहीं हारीं, और पढ़ाई जारी रखी। आज दोनों बहनें हैं IAS और IPS अधिकारी। पढ़िए, ऐसी दो महिला अधिकारियों की सफलता की कहानी, जिन्होंने कठिन मेहनत से हर मुश्किल को आसान कर दिया।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है, जिसे पास करने के लिए न केवल बौद्धिक क्षमता, बल्कि समर्पण, कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प की भी जरूरत होती है। आज हम आपको एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी से रूबरू करवा रहे हैं, जिसमें तमिलनाडु के कडली रोड जिले की दो बहनें, सुश्मिता रामनाथन और ईश्वर्या रामनाथन की सफलता की यात्रा को साझा किया गया है।

ये दोनों बहनें एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और इनके लिए UPSC परीक्षा की राह पर चलना काफी चुनौतीपूर्ण था।

सूनामी ने छीन लिया घर, फिर भी नहीं टूटी हिम्मत
सुश्मिता और ईश्वर्या का परिवार खेती-बाड़ी करता था और उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए सीमित संसाधनों का सामना करना पड़ा। 2004 में आई सूनामी ने उनका घर बहा दिया, लेकिन इस कठिन समय ने उनकी उम्मीदों को तोड़ने की बजाय उन्हें और मजबूत बना दिया। इस दुखद घटना के बावजूद, दोनों बहनों ने पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी।

हले प्रयास में RAS, दूसरे प्रयास में बनी IAS
इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, दोनों बहनें UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने में सफल रही। ईश्वर्या, जो छोटी बहन हैं, सबसे पहले सफलता प्राप्त करने वाली थीं। उन्होंने 2018 में UPSC परीक्षा पास की और भारतीय रेलवे लेखा सेवा (RAS) में चयनित हुईं। हालांकि, अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं होने के कारण, उन्होंने एक बार फिर से परीक्षा देने का निर्णय लिया। 2019 में उन्होंने UPSC CSE परीक्षा दी और 44वीं रैंक हासिल की। केवल 22 साल की उम्र में वह तमिलनाडु कैडर की IAS अधिकारी बनीं और वर्तमान में तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में अतिरिक्त कलेक्टर (विकास) के रूप में कार्यरत हैं।

छठे प्रयास में बनी IPS अधिकारी
वहीं, सुश्मिता के लिए यह सफर उतना आसान नहीं था। उन्होंने पहले पांच प्रयासों में UPSC परीक्षा में सफलता नहीं पाई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। लगातार असफलताओं के बावजूद उन्होंने कठिन मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्य को और करीब से पकड़ा। 2022 में, अपने छठे प्रयास में उन्होंने 528वीं रैंक हासिल की और आंध्र प्रदेश कैडर की IPS अधिकारी बनीं। आजकल वह आंध्र प्रदेश के काकिनाडा जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में कार्यरत हैं।

दोनों बहनों की कठिन यात्रा
इन दोनों बहनों की कहानी यह साबित करती है कि अगर आपके पास कठिन मेहनत, समर्पण और धैर्य हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। सुश्मिता और ईश्वर्या की यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर आपका इरादा मजबूत है, तो सफलता जरूर मिलती है। इन दोनों बहनों ने साबित कर दिया कि कठिनाइयों के बावजूद अगर आप अपने लक्ष्य की ओर कड़ी मेहनत और समर्पण से बढ़ते जाएं, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है।

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