हिंदुस्तान मोटर्स का आरोप- ‘बंगाल सरकार ने बंद प्लांट को अवैध रूप से कब्जे में लिया’, ममता सरकार ने कहा- ‘अनुपयोगी पड़ी थी जमीन’

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा स्थित “हिंदुस्तान मोटर्स” के ऐतिहासिक संयंत्र को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। कंपनी ने आरोप लगाया है कि बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद उसके प्लांट पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि यह ज़मीन लंबे समय से अनुपयोगी पड़ी थी, जिसे नियम के अनुसार वापस ले लिया गया।

कंपनी ने मंगलवार रात एक बयान में बताया कि 11 जुलाई की सुबह लगभग 11 बजे भूमि विभाग के अधिकारियों, पुलिस बल और अन्य कर्मियों के साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधि परिसर में घुसे और दस्तावेज़, मशीनरी, उपकरण, लाइसेंसी हथियार और कस्टम गोदाम सहित कई संपत्तियों को जब्त कर लिया। हिंदुस्तान मोटर्स ने इस कार्रवाई को ‘एकतरफा और गलत’ बताते हुए कहा कि यह कदम उसकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले उठाया गया, जिससे उसे गंभीर नुकसान हुआ है।

कंपनी ने यह भी दावा किया कि उसने 11 जुलाई और 14 जुलाई को भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव को ईमेल और शारीरिक रूप से शिकायत पत्र और विरोध-पत्र सौंपा है।

कंपनी के अनुसार, इससे पहले राज्य सरकार ने इस बात पर सहमति जताई थी कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने तक उत्तरपाड़ा स्थित प्लांट को लेकर कोई ज़बरदस्ती की कार्रवाई नहीं की जाएगी। बावजूद इसके, सरकार की इस अचानक की गई कार्रवाई पर कंपनी ने हैरानी जताई है।

राज्य सरकार की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए भूमि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हिंदुस्तान मोटर्स को ज़मीन के उपयोग को लेकर कई अवसर दिए गए थे, लेकिन कंपनी ऐसा करने में विफल रही। अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2022 में सरकार ने कंपनी से 395 एकड़ ज़मीन वापस ले ली थी क्योंकि वह लंबे समय से खाली और अनुपयोगी पड़ी थी।

गौरतलब है कि उत्तरपाड़ा स्थित यह प्लांट वही जगह है जहां कभी प्रतिष्ठित एचएम एंबेसडर कारों का निर्माण हुआ करता था, जो कोलकाता की सड़कों पर ‘पीली टैक्सी’ के रूप में आज भी पहचान रखती हैं। कंपनी ने मई 2014 में इस प्लांट में उत्पादन बंद कर दिया था। कुल 720 एकड़ में फैली इस ज़मीन में से 314 एकड़ भूमि वर्ष 2009 में 285 करोड़ रुपये में श्रीराम समूह को रियल एस्टेट विकास के लिए बेची गई थी।

अब यह मामला 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, और इस बीच राज्य सरकार की कार्रवाई तथा कंपनी के विरोध के बीच कानूनी और राजनीतिक टकराव और तेज़ होने की आशंका है।

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