
- हिंदी साहित्य में आधुनिकता की शुरुआत अज्ञेय से : उदय प्रकाश
कसया, कुशीनगर। प्रसिद्ध कथाकार और कवि उदय प्रकाश को शुक्रवार भारतीय ज्ञान परंपरा विषयक संगोष्ठी में 2025 के अज्ञेय स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया। कलावती देवी स्मृति न्यास द्वारा मिले सम्मान आह्लादित उदय प्रकाश ने कहा कि हिंदी साहित्य में आधुनिकता की शुरुआत अज्ञेय से होती है। वे स्वातंत्र्य बोध के साहित्यकार थे। उन्होंने अज्ञेय के जीवन से जुड़े कुछ संस्मरण भी सुनाए।
समारोह को संबोधित करते हुए अष्टभुजा शुक्ल ने कहा अज्ञेय से ज्यादा शब्द केंद्रित कवि हिंदी में कोई दूसरा कवि नहीं हुआ। भाषा तो बन जाएगी। मूल प्रत्यय शब्द है। शब्द की गरिमा रोज गिराई जा रही है।
अज्ञेय ढेर सारी बातें सूत्रों में करते हैं। वे कहते हैं अनंत काल तक जीना अमरत्व नहीं है। मृत्यु भी तो अनंत है। प्रो. अरुणेश निरन ने विषय प्रवर्तन करते हुए अज्ञेय और उदय प्रकाश के साहित्य के विविध पहलुओं की विशद चर्चा की। प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर कृष्ण बिहारी मिश्र के भारत चिंतन पर बोलते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा भारतेंदु युग में हिंदी पत्रकारिता के संदर्भ में किसी संस्था के द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बराबर अकेला कार्य कृष्ण बिहारी मिश्र ने किया।
वरिष्ठ कवि और आलोचक प्रो. दिनेश कुशवाह ने कहा कि आगे, कृष्ण बिहारी मिश्र या विद्या निवास मिश्र के साहित्य में भारत चिंतन वह चिंतन नहीं है जो आज की राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत दिखता रहता है। वह भारत की आत्मा को खोजने की कोशिश है। प्रो. चित्तरंजन मिश्र ने कहा कि विद्या निवास मिश्र अपने लेखन और चिंतन में भारत की संस्कृति का चिंतन करते हुए यह बताया है कि परम्परा वह नहीं है जो चली आ रही है। परंपरा वह है जो हमें आगे ले चलती है। विद्यानिवास मिश्र का भारत श्रेष्ठता के दंभ का भारत नहीं है, वह श्रेष्ठता के तत्वों की व्याख्या करते हुए सबको अपने में समेटने वाला भारत है।

द्वितीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अनंत मिश्र ने कहा कि कल्याण और पवित्र शब्द की अवधारणा दुनिया की किसी भाषा में नहीं है। अज्ञेय और विद्यानिवास की वाणी में ज्ञान के तप की शक्ति है जो उन्हें महत्वपूर्ण बनाती है। अज्ञेय से जुड़ी सभी संस्थाओं की इस आयोजन में सहभागिता रही। अतिथियों का स्वागत दयानिधि मिश्र ने और आभाफ ज्ञापन प्राचार्य प्रो. विनोद मोहन मिश्र ने किया। उदघाटन सत्र का संचालन प्रो. गौरव तिवारी और द्वितीय सत्र का संचालन डॉ. आशुतोष तिवारी ने किया। इस मौके पर प्रो. महेश्वर मिश्र, परितोष मिश्र, उद्भव मिश्र डॉ. सुधाकर तिवारी, प्रो. अमृतांशु शुक्ल, प्रो. उर्मिला यादव, प्रो. प्रशिला सैम, कालिंदी त्रिपाठी, प्रो. सीमा त्रिपाठी, प्रो. इंद्रासन प्रसाद, प्रो. वीरेंद्र कुमार, प्रो. कौस्तुभ नारायण मिश्र, प्रो. इंद्रजीत मिश्र, डॉ. अनुज कुमार आदि मौजूद रहे।