लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित जयशंकर प्रसाद स्मृति समारोह में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जो हिन्दी भवन के निराला सभागार में संपन्न हुई। इस समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. रामकृष्ण और डॉ. हरिशंकर मिश्र ने जयशंकर प्रसाद के साहित्यिक योगदान पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की शुरुआत वाणी वंदना के साथ डॉ. कामिनी त्रिपाठी ने की, और बाद में निदेशक राज बहादुर ने सम्मानित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका स्वागत किया।
डॉ. रामकृष्ण का संबोधन: अपने संबोधन में डॉ. रामकृष्ण ने जयशंकर प्रसाद के नाटकों जैसे “धुवस्वामिनी”, “चन्द्रगुप्त”, “स्कन्दगुप्त” और “अजातशत्रु” का उल्लेख करते हुए कहा कि इन काव्य रचनाओं में ऐतिहासिक तत्वों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने “कामायनी” को प्रसाद की काव्य रचनाओं में सबसे प्रमुख बताया, जिसमें मानवीय संवेदनाओं की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है। डॉ. रामकृष्ण ने प्रसाद जी के साहित्य में पौराणिकता और आधुनिकता का सामंजस्य स्थापित करने की बात भी की।
डॉ. हरिशंकर मिश्र का विचार: डॉ. हरिशंकर मिश्र ने प्रसाद जी को आधुनिक हिन्दी साहित्य का ‘हिमालय’ बताते हुए उनके जीवन के संघर्षमय पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रसाद जी का साहित्य ऊंचे मानदंडों को स्थापित करने वाला था और उनका जीवन साहित्य सेवी होने के साथ ही भारतीय संस्कृति का संवाहक था। मिश्र जी ने “कामायनी” में भाव और मनोविकार की गहरी छानबीन की ओर ध्यान दिलाया और प्रसाद जी के दार्शनिक पक्ष की सराहना की।
निदेशक राज बहादुर का संबोधन: निदेशक राज बहादुर ने जयशंकर प्रसाद को एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कवि, उपन्यासकार, नाटककार, और कहानीकार के रूप में सम्मानित किया। उन्होंने प्रसाद के साहित्य में प्रेम, सौंदर्य, करुणा और मानवता के तत्वों की चर्चा करते हुए उनके कालजयी रचनाओं जैसे “चित्राधार”, “प्रेम पथिक”, “करुणालय”, “कामायनी” आदि का उल्लेख किया। राज बहादुर ने प्रसाद की साहित्यिक यात्रा को भारतीय काव्य में अमिट छाप छोड़ने वाला बताया।
कार्यक्रम का संचालन: कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमिता दुबे, प्रधान संपादक, उ.प्र. हिन्दी संस्थान ने किया और समस्त साहित्यकारों, विद्वजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया। इस संगोष्ठी ने जयशंकर प्रसाद की काव्य धारा को पुनः समर्पित करते हुए उनके साहित्यिक योगदान को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास किया।