हिंदी चीनी भाई-भाई ! भारत और चीन के बीच सीमा विवाद समेत कई मुद्दों पर बनी बात, ट्रंप की उड़ी नींद…

भारत और चीन ने मंगलवार को सीमा मुद्दों के समाधान के लिए विशेषज्ञ समूह बनाने पर सहमति जताई है. यह निर्णय 24वें राउंड की स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स की बातचीत के दौरान लिया गया, जिसकी सह-अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने की.

विशेषज्ञ समूह का मुख्य उद्देश्य सीमा विवाद के उन हिस्सों को स्पष्ट करना और जल्दी समाधान खोजने के उपाय करना होगा। यह समूह वर्किंग मैकेनिज़्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (WMCC) के तहत काम करेगा.

सीमा प्रबंधन में सुधार के लिए नए कदम

MEA की प्रेस नोट के अनुसार, दोनों देशों ने सीमा प्रबंधन को और प्रभावी बनाने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाने पर सहमति जताई. नोट में कहा गया कि, ‘भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रभावी सीमा प्रबंधन को बढ़ावा देने हेतु WMCC के अंतर्गत एक वर्किंग ग्रुप की स्थापना. इसके तहत पूर्वी और मध्य सेक्टर में जनरल-लेवल मिलिट्री कम्युनिकेशन मेकेनिज्म बढ़ाने का निर्णय भी लिया गया, जो पहले से पश्चिमी सेक्टर में मौजूद हैं. 

सीमा मुद्दों पर प्रमुख समझौते

  • WMCC के तहत विशेषज्ञ समूह की स्थापना ताकि सीमा निर्धारण में जल्दी परिणाम मिल सकें.
  • दिन-प्रतिदिन सीमा प्रबंधन को सुधारने के लिए वर्किंग ग्रुप का निर्माण.
  • पूर्वी और मध्य सेक्टर में जनरल-लेवल सैन्य संवाद तंत्र का विस्तार, पश्चिमी सेक्टर के अलावा.
  • सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से तनाव कम करने और सीमा पर शांति बनाए रखने का संकल्प.
  • मौजूदा संचार और संकट प्रबंधन तंत्र का निरंतर उपयोग, और अगली बैठक चीन में आयोजित करने पर सहमति.

द्विपक्षीय सहयोग में अतिरिक्त समझौते

विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक में दोनों देशों ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सकारात्मक और रचनात्मक चर्चा की. इसके तहत लोगों और आर्थिक स्तर पर संबंध बढ़ाने के कई व्यावहारिक कदम उठाने पर सहमति बनी.

वाणिज्यिक उड़ानें और तीर्थयात्रा

भारत और चीन ने सीधे वाणिज्यिक उड़ानों को जल्द शुरू करने पर सहमति जताई. एयर सर्विसेस एग्रीमेंट को अपडेट करने का काम शुरू होगा और पर्यटकों, व्यापारियों, पत्रकारों और अन्य आगंतुकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया सरल होगी. चीन ने यह भी सुनिश्चित किया कि 2026 से भारतीय तीर्थयात्रियों को माउंट कैलाश और मंसरोवर झील की यात्रा जारी रखने की अनुमति रहेगी और तीर्थयात्रा का दायरा बढ़ाया जाएगा.

जल संसाधन और नदी सहयोग

दोनों पक्षों ने सीमा पार नदियों पर सहयोग पर विचार साझा किए. चीन ने आपातकालीन परिस्थितियों में मानवता आधारित हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने पर सहमति दी. संवाद जारी रहेगा एक्सपर्ट लेवल मेकेनिज्म ऑन ट्रांस-बॉर्डर रिवर्स के माध्यम से.

पृष्ठभूमि और भविष्य

वांग यी की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में तियानजिन की आगामी यात्रा से पहले हुई है. भारत-चीन संबंध अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीनी सैन्य गतिविधियों के बाद तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि कुछ क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी से स्थिति शांत हुई, फिर भी तनाव बना हुआ है. 2024 BRICS शिखर सम्मेलन से पहले, दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर पैट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमति जताई, और हाल के महीनों में संबंध सुधारने के लिए और कदम उठाए गए.

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