
शिमला : हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर मौसम के मिजाज बदल गए हैं। राज्य के अधिकांश हिस्सों में आज घने बादल छाए हैं और बादलों के बरसने का अनुमान है। राजधानी शिमला में सुबह के समय हल्की बूंदाबांदी भी हुई। बीती रात मंडी और शिमला जिलों में हल्की वर्षा हुई। मंडी के जोगिन्दरनगर में 6 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई है।
मौसम विभाग ने आज व कल कांगड़ा, मंडी, शिमला व सिरमौर जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना जताई है। जबकि अन्य जिलों में मौसम साफ रहेगा। 26 से 29 सितंबर तक पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा।
मौसम विभाग के अनुसार राज्य से मॉनसून की वापसी के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं और अगले दो दिन में मॉनसून हिमाचल के कई इलाकों से विदा हो जाएगा। इस बीच पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से अवरुद्ध सड़कों को खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार अभी भी दो नेशनल हाइवे व 338 सड़कें अवरुद्ध हैं। ऊना व कुल्लू में एक-एक नेशनल हाइवे बंद है। मंडी में 109, कुल्लू में 106, कांगड़ा में 40, शिमला में 22 और चम्बा में 15 सड़कें बंद हैं। इसके अलावा कुछ इलाकों में 45 बिजली ट्रांसफार्मर व 77 पेयजल स्कीमें भी ठप हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार मानसून सीजन के दौरान अब तक कुल 451 लोगों की जान जा चुकी है और 47 लोग अभी भी लापता हैं। मृतकों में सबसे ज्यादा 68 लोगों की मौत चम्बा में हुई है। मंडी जिले में 66 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद कांगड़ा में 57, कुल्लू में 49, शिमला में 48, सोलन में 32, किन्नौर में 30, ऊना में 29, बिलासपुर में 23, सिरमौर में 22, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 10 लोगों की जान गई है। लापता 47 लोगों में सबसे अधिक 30 लोग मंडी जिले से लापता हैं। इसके अतिरिक्त चंबा से 5, शिमला और किन्नौर से 3-3, कुल्लू और कांगड़ा से 2-2 तथा सिरमौर और लाहौल-स्पीति से एक-एक व्यक्ति लापता हैं। इसके अलावा 496 लोग इस सीजन में घायल भी हुए हैं।
प्राकृतिक आपदाओं ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि हजारों को बेघर भी कर दिया। अब तक 1,709 मकान पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं जबकि 7,376 मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। 495 दुकानें भी ध्वस्त हुई हैं। पशुधन को भी काफी नुकसान हुआ है। 2,510 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक आकलन के अनुसार इस बार अब तक का कुल नुकसान 4,861 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। सबसे अधिक क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है, जिसे 3000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है। जलशक्ति विभाग को 1,463 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 1,396 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। मानसून के दौरान अब तक 148 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 47 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। लाहौल-स्पीति जिले में सबसे अधिक 30 बार भूस्खलन हुआ, जबकि शिमला में 29 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। लाहौल-स्पीति में ही सबसे ज्यादा 57 बार फ्लैश फ्लड आया। बादल फटने की सबसे ज्यादा घटनाएं मंडी जिले में हुईं, जहां 19 बार बादल फटे। इसके अलावा कुल्लू में 12 और चंबा में 6 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। बता दें कि इस बार मानसून प्रदेश में 20 जून को पहुंचा था और सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की सामान्य विदाई तिथि 25 सितंबर मानी जाती है। पिछले दस वर्षों में केवल तीन बार मॉनसून ने सितंबर में विदाई ली है, जबकि सात बार यह अक्तूबर महीने में विदा हुआ है। वर्ष 2024 में मॉनसून 2 अक्तूबर, 2023 में 6 अक्तूबर और 2022 में 3 अक्तूबर को विदा हुआ था।