
हिमाचल प्रदेश के रामपुर में जुलाई 2023 में आई बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने आपदा प्रभावितों को प्रधानमंत्री आवास योजना (आपदा) के तहत राहत राशि वितरित की थी। हालांकि, बाद में यह मामला विवादित हो गया जब खंड विकास अधिकारी (B.D.O.) रामपुर ने उन प्रभावितों को रिकवरी नोटिस जारी कर दिए, जिन्हें राशि प्रदान की गई थी।
यह मामला अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। कोर्ट ने बीडीओ द्वारा जारी किए गए रिकवरी नोटिस पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।
आपदा राहत योजना की शुरुआत
रामपुर क्षेत्र में आई बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एक विशेष पैकेज जारी किया था। मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पटवारियों और पंचायत सचिवों को निर्देश दिए थे कि वे प्रभावितों के नाम और पते इकट्ठा करें ताकि उनकी सहायता की जा सके। इसके बाद, सरकार ने ज्यूरी के क्याओं गांव के 17 प्रभावितों के खातों में तीन किस्तों में राहत राशि भेजी।
गलत पात्रता के कारण बर्फबारी
हालांकि, बीडीओ द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि जिन प्रभावितों को राहत राशि दी गई थी, वे प्रधानमंत्री आवास योजना (आपदा) के तहत पात्र नहीं थे। इसके बाद, बीडीओ ने 4 फरवरी को रिकवरी नोटिस जारी कर प्रभावितों को 15 दिनों के भीतर दी गई राशि वापस करने का आदेश दे दिया।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
वहीं, प्रभावितों ने बीडीओ के आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि प्रभावितों को अपनी बात रखने का कोई अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन ही नहीं कर पाए थे, और राहत राशि उन परिवारों को दी गई थी जिनके घर बाढ़ के दौरान बह गए थे या जिनमें दरारें आ गई थीं।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश रंजन शर्मा ने मामले पर सुनवाई करते हुए बीडीओ के रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी। अदालत ने साथ ही राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के आदेश दिए हैं।
आगामी सुनवाई और फैसला
अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी, जिसमें कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा कि रिकवरी नोटिस पर स्थायी रोक लगाई जाए या नहीं। फिलहाल, प्रभावितों को राहत मिल रही है क्योंकि अदालत ने सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है।