हिमाचल प्रदेश : सड़क पर आदमी, कंधों पर गाड़ी; कुल्लू जिले के कलवारी में अनोखा मामला; जानें विस्तार से

कुल्लू : बंजार (तीर्थन घाटी)। सड़क पर आदमी, कंधों पर गाड़ी…। बंजार की तीर्थन घाटी के कलवारी पंचायत में यह अनोखा दृश्य देखने को मिला, जिसने सरकार और प्रशासन की अनदेखी पर लोगों का क्रोध और जज्बा दोनों दिखा दिया। गलवाहधार-रंभी सड़क आपदा के चार महीने बाद भी जमद से आगे बंद पड़ी है। बार-बार आग्रह करने के बावजूद प्रशासन ने सुनवाई नहीं की, तो ग्रामीणों ने अपने दम पर कार के पुर्जों को कंधों पर उठाकर वाहन चलने योग्य सड़क तक पहुंचाया।

जानकारी के अनुसार फगरौट गांव के ज्ञान चंद की कार पिछले चार महीनों से फंसी हुई थी। इसे निकालने के लिए करीब तीन से चार किलोमीटर तक अलग-अलग पुर्जों को उठाना पड़ा। पहले इंजन को अलग किया गया, फिर चैली और उसके बाद बॉडी को अलग स्थान पर ले जाया गया। इस काम में गांव के दो दर्जन से अधिक लोगों ने मिलकर सहायता की।

ग्रामीणों की इस पहल ने न केवल उनकी एकता और जज्बे को दर्शाया, बल्कि सरकारी तंत्र को भी आईना दिखाया। तीर्थन घाटी में आपदा के बाद हालात अभी भी जस के तस बने हुए हैं। छोटे वाहनों के लिए सड़कें बहाल हो गई हैं, लेकिन बड़े वाहनों के लिए कई मार्ग अभी भी बंद हैं।

पंचायत कलवारी की प्रधान प्रेमलता ने बताया कि आपदा के बाद सड़क को खोलने के लिए लोक निर्माण विभाग से बार-बार आग्रह किया गया। वहीं, लोक निर्माण विभाग बंजार के अधिशासी अभियंता चमन ठाकुर ने कहा कि जमद से आगे एक जगह पर 20 से 25 मीटर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। इसे बहाल करने के लिए भूमि संबंधी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं, इसके बाद सड़क को फिर से खोला जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले इसी सड़क में फंसी एक और गाड़ी को ग्रामीणों ने एक सप्ताह पहले इसी तरह के प्रयास से निकालकर चलने योग्य बना दिया था। इस बार भी ग्रामीणों ने पुर्जों को अलग कर गाड़ी सड़क तक पहुंचाई, क्योंकि सरकार और प्रशासन की सुनवाई नहीं हुई।

ग्रामीणों की यह पहल प्रशासन को चेतावनी भी है कि आपदा के समय लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सड़कें बहाल करना कितना जरूरी है।

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