
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने श्रम कल्याण अधिकारी के पद पर नियमित किए गए कर्मचारियों को उनके नए वेतनमान के अनुसार वेतन न दिए जाने के मामले में सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नियमितीकरण के बाद भी उन्हें अभी भी अनुबंध आधारित पुराना वेतन ही मिल रहा है।
न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने इस मामले में कोई आदेश पारित करने से पहले राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर उचित निर्देश प्राप्त करने और स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि नियमितीकरण के बावजूद नया वेतन क्यों नहीं जारी किया गया। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2025 को होगी।
जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ताओं को पहले श्रम कल्याण अधिकारी, क्लास-2 (राजपत्रित) के पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था। उन्हें हिमाचल प्रदेश सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2022 के अनुसार लेवल-16 के पहले सेल का 60 प्रतिशत यानी 29,220 रुपए प्रति माह का निश्चित अनुबंध मानदेय मिलता था। 7 जुलाई 2025 को उनकी सेवाओं को 10,300-34,800 पे बैंड में 5,000 ग्रेड पे के साथ नियमित किया गया, जो लेवल-16 के वेतन मैट्रिक्स के बराबर है। इसके बावजूद कर्मचारियों को अभी भी पुराना वेतन ही मिल रहा है।
इसके अलावा, प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रामीण आबादी से स्टोन क्रशर की दूरी के मापदंडों के कथित उल्लंघन के संबंध में दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
याचिका में बताया गया है कि हमीरपुर के गलोड़ में प्रस्तावित स्टोन क्रशर ग्राम आबादी से दूरी के 29 जून 2021 की अधिसूचना में निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने साइट अप्रेजल कमेटी की 27 सितंबर 2024 की रिपोर्ट के आधार पर दी गई सहमति पर सवाल उठाया है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के साथ चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी 2026 को होगी।















