
शिमला : हिमाचल प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। सोमवार को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदेश मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण धरना देकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस धरने का नेतृत्व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया। प्रदर्शन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विनय सिंह, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सहित कैबिनेट के सभी मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मनरेगा योजना वर्षों से ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार की रीढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस योजना को समाप्त कर नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इससे हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों को गंभीर नुकसान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के कमजोर होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर घटेंगे और इसके साथ ही सड़कों, संपर्क मार्गों, सिंचाई योजनाओं, तालाबों और अन्य जरूरी विकास कार्यों पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह योजना केवल मजदूरी तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का बड़ा माध्यम रही है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मनरेगा को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शी सोच का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि मनरेगा ने ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता को मजबूत आधार दिया। मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार महात्मा गांधी की विचारधारा के विपरीत काम कर रही है और योजनाओं से गांधी का नाम हटाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को 12 महीने से घटाकर 10 महीने तक सीमित करना और इसे केंद्र सरकार की अधिसूचना पर निर्भर करना पंचायती राज व्यवस्था की मूल भावना पर सीधा हमला है।
उपमुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ने मनरेगा से जुड़े अपने फैसले वापस नहीं लिए तो राज्य सरकार इस आंदोलन को और तेज करेगी। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो मनरेगा के समर्थन में विरोध को ब्लॉक स्तर तक ले जाया जाएगा।















