
शिमला : हिमाचल प्रदेश में मानसून का असर लगातार जारी है। शनिवार को भी प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बारिश हो रही है, वहीं शिमला सहित कई क्षेत्रों में घने बादल छाए रहे। मौसम विभाग ने आज कुछ जगह भारी वर्षा को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग का कहना है कि 7 से 12 सितंबर तक भी बारिश का अनुमान है, लेकिन इस दौरान भारी वर्षा की कोई चेतावनी नहीं दी गई है। बीती रात से सुबह तक बिलासपुर जिले के नैनादेवी में सबसे अधिक 136 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। लगातार हो रही बारिश से जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है और इससे सैंकड़ों सड़कों व कुछ नेशनल हाइवे पर यातायात पूरी तरह बाधित है। कई जगह मालवाहक वाहनों के फंसने से फल और सब्जियां खराब हो रही हैं। विशेषकर शिमला, कुल्लू और मंडी के सेब बहुल क्षेत्रों में सड़कें बंद होने से सेब को मंडियों में पहुंचाने का कार्य प्रभावित हुआ है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक शनिवार सुबह तक प्रदेश में तीन नेशनल हाइवे और 1001 सड़कें बंद रहीं। कुल्लू जिले में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर है, जहां 225 सड़कें ठप हैं। शिमला में 212, मंडी में 205, चंबा में 166, सिरमौर में 48 और कांगड़ा में 41 सड़कें अवरुद्ध पड़ी हैं। बंद पड़े नेशनल हाइवे में कुल्लू का एनएच-3 व एनएच-305 और लाहौल-स्पीति का एनएच-505 शामिल है।
कुल्लू के अखाड़ा बाजार क्षेत्र में शुक्रवार देर रात फिर से भूस्खलन हुआ। मठ की पहाड़ी से गिरी चट्टानों के कारण इनर अखाड़ा में सब्जी मंडी के पास भारी नुकसान हुआ है। यह पिछले कुछ दिनों में तीसरी बार है जब यहां भूस्खलन हुआ। ऐहतियातन आसपास के घर खाली करवा दिए गए हैं। सुल्तानपुर की ओर जाने वाला मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है और सड़क का हिस्सा नीचे ढह गया।
भारी वर्षा से प्रदेश में बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित है। अब तक 1992 ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं। इनमें कुल्लू में 867, शिमला में 454, मंडी में 308, सोलन में 168 और चंबा में 160 ट्रांसफार्मर शामिल हैं। इसी तरह पेयजल योजनाएं भी बुरी तरह प्रभावित हैं। पूरे प्रदेश में 472 योजनाएं बंद हैं, जिनमें शिमला की 226, मंडी की 78, कुल्लू की 63 और चंबा की 60 योजनाएं शामिल हैं।
इस मॉनसून सीजन में अब तक बारिश जनित हादसों में मरने वालों का आंकड़ा 360 तक पहुंच गया है। 47 लोग अभी भी लापता हैं और 426 लोग घायल हुए हैं। सबसे ज्यादा 58 मौतें मंडी जिले में दर्ज हुई हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 50, चंबा में 43, शिमला में 39, कुल्लू में 33, किन्नौर में 28, सोलन में 26, ऊना में 22, बिलासपुर और सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 मौतें हुई हैं। बारिश से 1967 पशु और 26 हजार से ज्यादा पोल्ट्री पक्षियों की भी मौत हुई है।
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अब तक 5662 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें 1078 मकान पूरी तरह ढह गए। इसके अलावा 452 दुकानें और 4816 पशुशालाएं भी धराशायी हो गई हैं। सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का प्रारंभिक आकलन 3979 करोड़ रुपये लगाया गया है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 2743 करोड़, जलशक्ति विभाग को 2425 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 139 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अब तक 133 भूस्खलन, 95 फ्लैश फ्लड और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। लाहौल-स्पीति में सबसे ज्यादा 27 बार भूस्खलन और 56 बार फ्लैश फ्लड की घटनाएं हुई हैं, जबकि मंडी में बादल फटने की 19 घटनाएं हुई हैं।
इस बीच प्रदेश के बांधों का बढ़ता जलस्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है। भाखड़ा बांध की गोविंद सागर झील का जलस्तर शनिवार सुबह 1678.14 फीट दर्ज किया गया, जबकि खतरे का निशान 1680 फीट है। बांध के चारों फ्लड गेट सात-सात फुट तक खोले गए हैं। टर्बाइनों और फ्लड गेटों से 74,151 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। नंगल डैम से नहरों और सतलुज नदी में भी पानी छोड़ा जा रहा है। सतलुज में इस समय 52,000 क्यूसेक पानी बह रहा है।
कांगड़ा जिले में पौंग बांध का जलस्तर खतरे के निशान से 4.52 फीट ऊपर दर्ज किया गया। शनिवार सुबह 9 बजे जलस्तर 1394.52 फीट था, जबकि खतरे का निशान 1390 फीट है। हालांकि पिछले चार घंटों में जलस्तर 0.19 फीट घटा है। बांध से कुल 99,673 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इसका असर हिमाचल के फतेहपुर और इंदौरा इलाकों के साथ-साथ पंजाब के होशियारपुर और पठानकोट जिलों में साफ नजर आ रहा है। कई खेत और घर पानी में डूब गए हैं। प्रशासन प्रभावित गांवों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहा है। एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासनिक टीमें लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।