
शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम धर्मशाला को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि 31 जुलाई 2025 तक धर्मशाला शहर से सभी बेसहारा पशुओं को हटाया जाए। कोर्ट ने इस कार्य को “समयबद्ध और प्रभावी ढंग से पूरा करने” पर जोर देते हुए, धर्मशाला को एक “बेसहारा पशु मुक्त आदर्श शहर” बनाने का लक्ष्य तय किया है।
जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सख्त रुख
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने नगर निगम द्वारा दायर जवाब को अस्पष्ट बताया, क्योंकि उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि अब भी कितने बेसहारा पशु शहर में मौजूद हैं।
अब तक कितना काम हुआ?
- 99 पशुओं को कांगड़ा जिले के लुथाण गौ अभ्यारण्य में शिफ्ट किया गया है।
- 68 पशुओं को नगर निगम ने हाल में पकड़ा है।
- लुथाण में 214 बीघा भूमि पर गौ अभ्यारण्य स्थापित है, जिसमें अब तक ₹4.5 करोड़ से अधिक का बजट खर्च हो चुका है।
हाईकोर्ट की शर्तें:
- नगर निगम को हर महीने कम से कम 30 पशुओं को शिफ्ट करने का लक्ष्य दिया गया था।
- अब कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 जुलाई तक धर्मशाला को पूरी तरह बेसहारा पशुओं से मुक्त किया जाए।
- निगम कमिश्नर को हलफनामा दाखिल कर बताना होगा कि आदेश का क्रियान्वयन कैसे और किस स्तर तक हुआ।
आगे क्या?
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई से पहले विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि लुथाण गौशाला में पशुओं के रहने और देखरेख की उचित व्यवस्था बनी रहे।
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