हाईकोर्ट न्यायमूर्ति ने कहा – पति और पत्नी दोनों पर है रिश्ते बचाने की बराबर जिम्मेदारी

कानपुर देहात। माती कचहरी परिसर में परिवारिक न्यायालय के भवन की नींव इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने भूमि पूजन के बाद रखी। जुलाई 2026 में इस भवन के निर्माण को पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिसे हर हाल में पूरा करने की बात कही। बिखरते परिवारों पर कहा कि रिश्तें को बचाने के लिए दोनों पक्ष को सजग रहना चाहिए।
इस मौके पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रजनीश कुमार ने कहा कि न्यायाधीश और अधिवक्ता दोनों एक ही रथ के पहिए हैं। वादकारी के हित में न्यायिक निर्णय मंजिल तक पहुंचाने में दोनों का तालमेल बहुत जरूरी है। कहा कि रिश्तों को बहुत संभालकर चलने की जरूरत है। परिवारिक विवादों पर चर्चा करते हुए कहा कि सिर्फ पति या पत्नी में से किसी एक पर रिश्ते को बचाने की जिम्मेदारी नहीं थोपी जा सकती है। ये दोनों का दायित्व है कि वह रिश्ते को ठीक रखने में बराबर की भूमिका निर्वहन करना चाहिए। परिवारिक न्यायालय के भवन की मांग अधिवक्ता लंबे समय से कर रहे थे। काफी प्रयासों के बाद ये अवसर आया है। कार्यक्रम में वर्चुअल रुप से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति अरूण भंसाली, इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता भी शामिल हुए। जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जीर्णशीर्ण निष्प्रयोज्य अधिवक्ता भवन के जीर्णोद्धार खर्च किए जा रहे धन के दुरुपयोग की जांच कराई जाए। रिक्त न्यायालयों व कार्यालयों के पद पूर्ण किए जाने की मांग की। इस मौके पर जिला जज जय प्रकाश तिवारी, पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायधीश जगदीश प्रसाद, सीजेएम अलंकृता शक्ति त्रिपाठी, अधिवक्ता जितेंद्र प्रताप सिंह, अमर सिंह भदौरिया, अरविंद कुशवाह आदि मौजूद रहे।

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