
उत्तराखंड को यूं ही “देवभूमि” नहीं कहा जाता। यहां हर घाटी, हर पहाड़ी, हर जंगल में एक अलग ही जादू है। मसूरी, नैनीताल, औली जैसे मशहूर डेस्टिनेशन से तो आप परिचित होंगे, लेकिन अगर आप सच में भीड़ से दूर, प्रकृति के करीब, और सुकून भरे किसी स्थान की तलाश कर रहे हैं, तो उत्तराखंड के कुछ छुपे हुए गांव आपके लिए जन्नत से कम नहीं हैं।
इन गांवों में इंटरनेट नहीं, शोरगुल नहीं – लेकिन हैं चिड़ियों की चहचहाहट, देवदार की महक और ऐसा सुकून, जिसे शहरों में ढूंढना नामुमकिन है।
यहां जानिए उत्तराखंड के 5 हिडन विलेजेस, जो हर प्रकृति प्रेमी और ट्रैवलर की बकेट लिस्ट में होने चाहिए:
1. ग्वालदम (Gwaldam) – कुमाऊं और गढ़वाल की गोद में बसा नगीना
- लोकेशन: चमोली ज़िला
- विशेषता: सेब के बाग, देवदार के जंगल, शांत ट्रेल्स
- क्या करें: ट्रैकिंग, कैंपिंग, नेचर फोटोग्राफी
ग्वालदम, कुमाऊं और गढ़वाल के बीच स्थित एक शांत पहाड़ी गांव है। यह जगह वीकेंड गेटवे या सोलो ट्रैवल के लिए एकदम परफेक्ट है। यहां की झीलें, हरे-भरे जंगल और लोकल होमस्टे अनुभव आपको शहर की दौड़-भाग से दूर सुकून में ले जाएंगे।
2. माणा गांव – भारत का आखिरी गांव
- लोकेशन: बद्रीनाथ के पास, चमोली
- क्या करें: पौराणिक स्थलों की यात्रा, लोककथाओं की खोज
माणा सिर्फ एक गांव नहीं, एक ऐतिहासिक अनुभव है। यह गांव महाभारत काल की कथाओं से जुड़ा हुआ है और भारत के आखिरी सीमावर्ती गांवों में गिना जाता है। यहां की पगडंडियों पर चलते हुए आपको लगेगा मानो आप इतिहास की गलियों में हैं।
3. कलाप (Kalap) – जहां छिपा है पांडवों का इतिहास
- लोकेशन: उत्तरकाशी जिला, टोंस घाटी
- विशेषता: ट्रेकिंग, ऑर्गेनिक खेती, ट्राइबल लाइफ
- क्या करें: स्थानीय लोककला और संस्कृति का अनुभव
कलाप गांव तक पहुंचने के लिए पैदल ट्रेक करना पड़ता है, लेकिन यहां पहुंचकर हर थकान गायब हो जाती है। यह जगह उन लोगों के लिए है जो लोकल अनुभव, नैसर्गिक भोजन और ट्राइबल संस्कृति को गहराई से महसूस करना चाहते हैं।
4. कनकचौरी (Kanakchauri) – कार्तिकेय की भूमि
- लोकेशन: रुद्रप्रयाग जिला
- क्या करें: ट्रेकिंग, मंदिर दर्शन, सर्दियों में स्नो व्यू
कनकचौरी गांव तक पहुंचना जितना रोमांचक है, उतना ही यादगार भी।