
- अखिलेश दुबे के समर्थकों की टोली में मौन जश्न का माहौल
- मुकदमा दर्ज कराने वालों पर दबाव बनाने की जुगत तैयार
- साम-दाम-दंड-भेद की नीति के जरिए पीड़ितों पर दबाव बनेगा
- विदाई के बाद भय का गुणा-गणित समझाने का सिलसिला तेज
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। सूबे की नौकरी के बाद दिल्ली दरबार में जिम्मेदारी अब मुकम्मल हुई है। यूं तो मुनादी काफी वक्त पहले हुई थी, लेकिन केंद्रीय प्रतिनियुक्त के लिए पोस्टिंग सूची ने चार दिन पहले मोबाइल-लैपटॉप की स्क्रीन पर देर शाम सन्नाटा तोड़ा था। लिस्ट क्या आई, तमाम आंखों के सामने अंधेरा छा गया, जबकि तमाम की आंखों में उम्मीदों के जुगनू टिमटिमाने लगे हैं। अब क्या होगा…. के यक्षप्रश्न के साथ नफा-नुकसान की पाइथागोरस प्रमेय सुलझाने की चर्चा कोर्ट-कचहरी से लेकर गली-चौराहों तक जारी है। किसी को कुछ पक्के तौर पर मालूम नहीं, बावजूद किंतु-परंतु के तर्कों के साथ खुद को दिलासा देने की कोशिश से परहेज भी नहीं है। अलबत्ता.. गुंडे-मवालियों के साथ रियल-इस्टेट के गैंगस्टर्स और साकेत दरबार के शुभचिंतकों की बांछे खिली हुई हैं। यकीन है कि, अब अच्छे दिन आने वाले हैं। इसी गफलत में अखिलेश दुबे पर मुकदमा दर्ज कराने वालों की खोज-खबर के साथ नफा-नुकसान का समीकरण समझाने की कोशिश से गुरेज नहीं है। धमकाने का दस्तूर जारी है। पीड़ितों का शुभचिंतक बनकर सफेदपोश बदमाशों के खिलाफ ऐलान-ए-जंग को थामने की हरकत का इरादा है।
टाइसन की गोली रास्ता नहीं पूछती है
सिर्फ पोस्टिंग सूची सार्वजनिक होते ही साकेत दरबार से जुड़े दरबारियों का सिंडिकेट खुल्लमखुल्ला बदमाशी की गुस्ताखी करने लगा है। अखिलेश दुबे के नजदीकी क्षेत्राधिकारी ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ मोर्चा थामे मनोहर शुक्ला के मुताबिक, बीते दिवस एसआईटी के सामने ऋषिकांत शुक्ला की करतूतों के खिलाफ साक्ष्य और गवाही देने के बाद कचहरी गए थे। वहां से लौटते वक्त नई सड़क पर बाइक सवार अनजान युवकों ने इशारा किया तो कार की खिड़की का शीशा नीचे सरकाया। इसके बाद बदमाशों ने तहरीर-शिकायत वापस लेने की नसीहत देते हुए धमकाया कि, टाइसन भाई का नाम सुना होगा, उसकी गोली रास्ता पूछकर नहीं आती है। मनोहर शुक्ला का दावा है कि, यह ट्रेलर पक्के तौर पर ऋषिकांत शुक्ला के इशारे पर कुख्यात टाइसन के गुर्गों के जरिए दिखाया गया है। उन्होंने कहाकि, यदि पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार तत्काल चले जाएंगे तो भूमाफियाओं और सफेदपोश अपराधियों के हौंसले बुलंद होंगे।
मर्दानी प्रज्ञा को किसी किस्म का खौफ नहीं
पुलिस कमिश्नर की विदाई की संभावना के साथ शहर में तमाम हिदायत-नसीहत का दौर जारी है। अलबत्ता, साकेत दरबार के सामने खड़ी मर्दानी प्रज्ञा त्रिवेदी को सीपी की विदाई का मलाल है, लेकिन हिम्मत बेमिसाल है। प्रज्ञा को स्वयंभू शुभचिंतक बने कुछ लोगों ने डराने-समझाने का प्रयास किया कि, मौजूदा सीपी के जाने के बाद अखिलेश दुबे जल्दी बाहर आएगा, फिर बहुत मुसीबत होगी। ऐसी तमाम समझाइश को प्रज्ञा ने कपड़े की धूल सरीखा झाड़ दिया। प्रज्ञा को अखिल कुमार की विदाई के बाद ऑपरेशन महाकाल की उम्र पर संशय है, लेकिन मुख्यमंत्री की कार्यशैली की कायल प्रज्ञा कहती हैं कि, जब कोई साथ नहीं था, उस दौर में साकेत दरबार के खिलाफ अश्लील साहित्य छपने के बावजूद मोर्चा लिया था। अब तो शहर और पुलिस साथ है, फिर काहे का डर।
गद्दारों-दुश्मनों की शिनाख्त में गुप्तचर मुस्तैद
अखिल कुमार के दौर में बिलों में दुबके बदमाश सिर निकालकर माहौल भांप रहे हैं। अच्छे दिन की उम्मीद में खाकी वर्दी वाले आकाओं के जरिए शहर के नए पुलिस कमिश्नर की तस्वीर समझने की जुगत में जुटे हैं। इसी के साथ भूमिगत दरबारियों ने अपने गुप्तचरों को सक्रिय कर दिया है कि, दरबार के दबे-छिपे काले कारनामों की सूचना पुलिस तक पहुंचाने वाले गद्दारों की शिनाख्त जल्द होनी चाहिए, ताकि भैया के बाहर आने के बाद उनके सामने सूची रखी जाए। दक्षिण के पिता-पुत्र की जोड़ी भी अभी परदे के पीछे दुबकी है, लेकिन कचहरी में समर्थकों के जरिए दरबार के गद्दारों और दुश्मनों के नाम-पता जुटाने के लिए हुक्म दिया गया है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सहमति से देशहित में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है, जिसका लाभ पूरे देश को होगा।। प्रदेश में योगी सरकार के राज में कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है। कानपुर में पुलिस कमिश्नर के पद पर जो भी अधिकारी आएगा, वह अपराधी और माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करता रहेगा।
- अखिल कुमार, पुलिस कमिश्नर