बीमार बच्ची के साथ कैसे तकलीफें सह रही शहीद की विधवा, ये जानकर फट जाएगा कलेजा

यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले शहीद विजय कुमार की शादी वर्ष 2014 में देसही देवरिया ब्लॉक के बरवां गांव निवासी विजयलक्ष्मी से हुई थी। शादी के बाद उन्हें जुड़वा बेटियां हुईं, लेकिन ब्लड में संक्रमण के कारण एक बेटी की मौ’त हो गई। दूसरी बेटी आराध्या पर भी संक्रमण का असर था। उसी के बेहतर इलाज के लिए पत्नी और बेटी देवरिया शहर में रह रहे थे। घटना के काफी देर बाद भी पत्नी को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।

कुछ रिश्तेदार उसे रात में ही देवरिया से लेकर गांव पहुंचे। यहां आने के बाद पति के शहादत की खबर मिली तो वह गश खाकर गिर पड़ीं। कुछ देर बाद होश संभाला तो फिर आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह बार-बार कह रही थीं कि कैसे मोड़ पर छोड़कर चले गए आप। अब न जीना बन रहा है न मरना। गोद में लिए बेटी को देख बार-बार कह रही थीं कि यही एक जीने का सहारा है। पत्नी ने बताया कि वह बेटी के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। अक्सर फोन पर जब भी बात होती, बेटी के लिए ही फिक्रमंद रहते। छुट्टी से लौटते समय वादा कर गए थे कि अबकी आएंगे तो बेटी का अच्छे से इलाज कराएंगे। गोरखपुर में जमीन पर मकान का काम शुरू कराने का वादा किया था, लेकिन क्या पता था कि अब फिर लौटकर ही नहीं आएंगे।

दस वर्ष की नौकरी में विजय दो बार मौ’त को मात दे चुके थे, लेकिन तीसरी बार काल उन्हें नहीं छोड़ा। घरवालों के मुताबिक विजय की पहली पोस्टिंग उड़ीसा में हुई थी। वहां ऐसे ही गश्त के दौरान न’क्सलियों ने लैंड माइंस वि’स्फोट कर सीआरपीएफ के वाहन को निशाना बनाया था, जिसमें विजय के कई साथी शहीद हो गए। विजय बाल-बाल बच गए थे। करीब एक वर्ष पहले जम्मू के पंपोर में भी ऐसा ही ह’मला हुआ था। इसमें भी विजय के साथी शहीद हुए, लेकिन वह सुरक्षित रहे। तीसरी बार आ’तंकी हमले ने न सिर्फ विजय शहीद हो गए, बल्कि पूरे परिवार की खुशियां भी छीन ली।

करीब तीन साल से विजय की तैनाती जम्मू में थी। परिजनों के मुताबिक मार्च में तबादला होने वाला था। दो फरवरी को दस दिनों की छुट्टी पर आए विजय ने घरवालों से वादा किया था कि अब जब मार्च में छुट्टी पर आएंगे तो घर का अधूरा काम, बेटी का इलाज सहित अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था।

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