सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर सुनवाई: शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी एक निराशाजनक स्थिति का सामना कर रहे हैं, और यह वे लोग हैं जिन्हें देश में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। गोंसाल्वेस ने अदालत से इन शरणार्थियों की स्थिति पर ध्यान देने की अपील की, जिससे उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।

कोर्ट ने इस दौरान शरणार्थियों के वर्तमान निवास के प्रमाण मांगे, ताकि यह देखा जा सके कि उन्हें किस प्रकार की राहत दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नाबालिग बच्चों के व्यक्तिगत विवरण का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शरणार्थियों के माता-पिता और उनके निवास स्थान के बारे में प्रमाण प्रस्तुत किए जाएं, ताकि शरणार्थियों की स्थिति का उचित मूल्यांकन किया जा सके।

गोंसाल्वेस ने अदालत को बताया कि रोहिंग्या शरणार्थियों के पास संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी कार्ड हैं, जो उनकी शरणार्थी स्थिति को मान्यता देते हैं। इसके बाद कोर्ट ने संकेत दिया कि यदि शरणार्थियों के निवास की पुष्टि करने वाले विवरण प्रस्तुत किए जाते हैं, तो वह इस पर विचार करेगा कि किस प्रकार से राहत प्रदान की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा के मामले में कोई भेदभाव नहीं होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शरणार्थी बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित न किया जाए। कोर्ट ने कहा, “हमें यह जानने की जरूरत है कि वे कहां हैं और किस स्थिति में रह रहे हैं, ताकि हम उनकी मदद कर सकें।” मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा विचार से इनकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की याचिका पर विचार नहीं किया था। इसके बजाय हाई कोर्ट ने इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क करने की सलाह दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस मामले में एक अपील भी है, जिसमें याचिकाकर्ता ने अस्थायी शिविरों के बजाय नियमित आवासीय क्षेत्रों में रहने वाले रोहिंग्या परिवारों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था। इस याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

यह सुनवाई रोहिंग्या शरणार्थियों के अधिकारों को लेकर जारी महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें अदालत शरणार्थियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है।

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