
नई दिल्ली : वक्फ बोर्ड से संबंधित संशोधित कानून को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई शुरू हुई। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई की शुरुआत में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कानून के कई प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बताया।
क्या बोले कपिल सिब्बल?
सिब्बल ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि:
- “वक्फ कानून मुस्लिम उत्तराधिकार के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।”
- “यह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंगों में हस्तक्षेप है, जो अनुच्छेद 26 के खिलाफ है।”
- “इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद लागू होता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहा है।”
- “ऐसी संपत्तियाँ जो पहले वक्फ घोषित हो चुकी हैं, उन्हें भी नकारा जा रहा है, जो अनुचित है।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समय की सीमाएं हैं, इसलिए सिब्बल से कहा गया कि वे अपनी दलीलों के मुख्य बिंदु ही रखें
क्या है वक्फ संशोधन कानून 2025?
वक्फ कानून में हाल ही में किए गए संशोधनों को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। यह कानून 3 अप्रैल को लोकसभा से भारी विरोध के बीच पारित हुआ था। समर्थन में 288 वोट, विरोध में 232 वोट पड़े थे। 4 अप्रैल को राज्यसभा से यह पारित हुआ और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 8 अप्रैल को इसे अधिसूचित किया गया।
कानून के प्रमुख प्रावधान
- वक्फ बोर्ड में 2 महिला और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे।
- सरकार वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए कलेक्टर को नियुक्त करेगी, पहले यह काम सर्वे कमिश्नर करते थे।
- अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, पहले इसकी अनुमति नहीं थी।
- कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे व्यक्ति ही संपत्ति दान कर सकेंगे।
विरोध क्यों हो रहा है?
विरोधियों का तर्क है कि यह कानून वक्फ की आत्मनिर्भरता और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। खासकर यह प्रावधान कि दानदाता को कम से कम 5 साल से मुस्लिम होना चाहिए, इस्लामी परंपराओं के विपरीत बताया जा रहा है।
कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील और मुस्लिम समुदाय के अन्य प्रतिनिधि इसे “धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप” मानते हैं।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया है और कई याचिकाओं को एक साथ जोड़ा गया है। मामले की अगली सुनवाई जल्द निर्धारित हो सकती है, जिसमें सरकार और याचिकाकर्ताओं की ओर से विस्तृत तर्क रखे जाएंगे।