
चंडीगढ़ : शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा मोहाली जिला अदालत के रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के महाधिवक्ता (एजी) ने तर्क दिया कि मजीठिया ने जिस आदेश को चुनौती दी है, वह अब अप्रासंगिक हो चुका है, क्योंकि बाद में नए समन जारी हो चुके हैं।
अदालत ने याचिका संशोधित करने का दिया निर्देश
महाधिवक्ता की दलील सुनने के बाद अदालत ने मजीठिया के वकील से संशोधित याचिका दाखिल करने को कहा। इस पर सुनवाई की अगली तारीख 8 जुलाई तय की गई है।
राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
अपनी याचिका में बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बदले की कार्रवाई करार दिया है। उनका कहना है कि यह मौजूदा सरकार द्वारा उन्हें बदनाम और परेशान करने की साजिश का हिस्सा है।
गिरफ्तारी को बताया अवैध
मजीठिया ने आरोप लगाया कि उन्हें 25 जून की सुबह मोहाली विजिलेंस ब्यूरो थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने दावा किया कि उन्हें सुबह 9:00 से 11:20 बजे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जबकि गिरफ्तारी औपचारिक रूप से 11:20 बजे दिखाई गई। यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(2) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) की धारा 187 का उल्लंघन है।
रिमांड अर्जी पर भी उठाए सवाल
याचिका में मजीठिया ने जांच एजेंसी द्वारा पेश की गई रिमांड अर्जी को भी सवालों के घेरे में रखा है। उनका कहना है कि इसमें कोई ठोस या तात्कालिक गिरफ्तारी का कारण नहीं दर्शाया गया है, जिससे साफ होता है कि गिरफ्तारी मनमानी थी।
क्या है अगला कदम?
अब सभी निगाहें 8 जुलाई की सुनवाई पर टिकी हैं, जब मजीठिया की ओर से संशोधित याचिका दायर की जाएगी। यह देखना अहम होगा कि अदालत उनके पक्ष में क्या रुख अपनाती है और राजनीतिक आरोपों के इस विवाद में आगे क्या मोड़ आता है।
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