
फतेहपुर। जिले में पराली जलाने पर किसानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाले प्रशासन को फैक्ट्रियों का प्रदूषण और वेस्ट मैटेरियल को खुलेआम जलाना नहीं नजर आ रहा है जिससे कई गांवों के ग्रामीण आक्रोशित हैं।
मलवां विकास खंड के गोधरौली गांव में फैक्ट्रियों द्वारा खुले में कचरा जलाए जाने से उठ रहा जहरीला धुआं अब ग्रामीणों के सब्र का बांध तोड़ रहा है। किसानों की पराली पर विभाग तुरंत जुर्माना और मुकदमा ठोंक देता है, लेकिन फैक्ट्रियों के खतरनाक वेस्ट को दिनदहाड़े फूंके जाने पर प्रशासन की चुप्पी लोगों के गुस्से को और भड़का रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि कचरे की आग से उठने वाला काला, बदबूदार धुआं पूरे इलाके में घुलकर बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों की सेहत पर सीधा हमला कर रहा है, लेकिन विभाग आंखें मूंदे बैठा है। गोधरौली के दुर्गेश दीक्षित बताते हैं कि शिकायत करने पर प्रदूषण विभाग उल्टा शिकायतकर्ता को ही कटघरे में खड़ा कर देता है। “हम बताते हैं कि फैक्ट्रियां प्लास्टिक व रबर का कचरा जला रही हैं, लेकिन अधिकारी उल्टा हमसे ही घंटों सवाल पूछते हैं।

उन्होंने बताया कि पहले रात में कचरा जलाते थे, अब खुलेआम दिन में जलाया जा रहा है। गांवों के मुन्ना दीक्षित, लवकुश सिंह, रोहित दुबे, शिवनंदा केवट, बौरा केवट (अकबरखेड़ा), गोरेलाल ग्राम प्रधान बिकमपुर, रामौतार, रावतपुर सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि यह धुआं कई किलोमीटर तक फैलकर पूरे क्षेत्र को जहरीला बना रहा है। प्लास्टिक, कैमिकल और रबर के कचरे का धुआं पराली से कई गुना ज्यादा खतरनाक होता है, लेकिन विभाग फैक्ट्री मालिकों पर कार्रवाई नहीं करता।
ग्रामीणों का आरोप है कि किसानों पर सख्ती आसान है, लेकिन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई विभागीय मिलीभगत और दबाव के कारण नहीं होती। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है।
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