
चंडीगढ़ : हरियाणा में गरीबी तेजी से घट रही है और आम लोगों की आर्थिक स्थिति पहले से कहीं मजबूत हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-12 में राज्य में ग्रामीण गरीबी 11 फीसदी और शहरी गरीबी 15.3 फीसदी थी, जो अब घटकर क्रमशः 4.1 और 4.3 फीसदी रह गई है। यानी एक दशक में गरीबी लगभग तीन गुना कम हुई है। यह राज्य के विकास और सरकारी योजनाओं की प्रभावी पहुंच का बड़ा संकेत है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस अवधि में हरियाणा में प्रति व्यक्ति मासिक खपत तेजी से बढ़ी है और असमानता का स्तर घटा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच खर्च करने की क्षमता का अंतर पहले से काफी कम हो गया है, जिससे यह साफ दिखता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
गरीबी रेखा में बढ़ोतरी
हरियाणा में 2011-12 में ग्रामीण गरीबी रेखा 1,128 रुपये और शहरी गरीबी रेखा 1,528 रुपये प्रतिमाह थी। 2022-23 में यह बढ़कर ग्रामीण इलाकों में 2,083 रुपये और शहरों में 2,696 रुपये हो गई है। इसका मतलब अब ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति यदि 2,083 रुपये से कम और शहरी क्षेत्र का व्यक्ति 2,696 रुपये से कम प्रतिमाह खर्च करता है, तभी उसे गरीब माना जाएगा।
पड़ोसी राज्यों में भी सुधार
हरियाणा के आसपास के राज्यों में भी गरीबी में कमी आई है। पंजाब में ग्रामीण गरीबी 7.4 फीसदी और शहरी गरीबी 17.6 फीसदी से घटकर क्रमशः 0.6 और 2.6 फीसदी हो गई है। हिमाचल प्रदेश में 2011-12 में ग्रामीण गरीबी 11.1 फीसदी और शहरी गरीबी 8.8 फीसदी थी, जो अब घटकर क्रमशः 0.4 और 2 फीसदी रह गई है।
गरीबी घटने के मुख्य कारण
डीएवी कॉलेज, सेक्टर-10, चंडीगढ़ के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. बिमल अंजुम के अनुसार हरियाणा में गरीबी घटने के पांच मुख्य कारण हैं:
- सरकार की मुफ्त राशन नीति से लोगों के बैंक बैलेंस में वृद्धि हुई।
- समाज कल्याण योजनाओं की आम लोगों तक बेहतर पहुंच से पेंशन और अन्य लाभ मिलने लगे।
- किसानों को अधिक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिला।
- युवाओं में विदेश जाने का ट्रेंड बढ़ा और विदेशी मुद्रा की आमदनी से गरीबी कम हुई।
- हरियाणा के 14 जिले एनसीआर क्षेत्र में शामिल होने से जमीन के दाम बढ़े और रोजगार व व्यापार के अवसर सुगम हुए।
इन सभी कारणों ने मिलकर हरियाणा में गरीबी के स्तर को काफी हद तक कम कर दिया है और आम लोगों की जेब पहले से मजबूत हुई है।










