
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्य सचिवालय के सतर्कता विभाग की ओर से जारी नए आदेशाें में जिला और उपमंडल सतर्कता समितियों तथा मंडलीय सतर्कता ब्यूरो की कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया गया है।
इससे पहले 26 मई, 2022 को सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और एफआईआर दर्ज करने से जुड़ी प्रक्रिया तय की गई थी। लेकिन इन आदेशों को लेकर विभिन्न स्तरों पर अस्पष्टता बनी हुई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब स्पष्ट संशोधन जारी किया है।
संशोधित आदेश के अनुसार अब उपायुक्त भ्रष्टाचार संबंधी रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजेंगे।
मंडलायुक्त को यह रिपोर्ट मिलने के बाद 15 दिनों के भीतर अनुमति देना अनिवार्य होगा। अनुमति देने से पहले उपायुक्त और संबंधित विभागाध्यक्ष से परामर्श लिया जाएगा। यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17ए और भारत सरकार के निर्देश (3 सितंबर, 2021) के अनुरूप होगी।
आदेश में यह भी साफ किया गया है कि ग्रुप-बी, सी और डी वर्ग के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों (जहां रिश्वतखोरी की राशि एक करोड़ रुपये तक हो) की जांच या एफआईआर दर्ज करने का अधिकार आईजी, डीआईजी और एसपी स्तर के सतर्कता अधिकारी को होगा। सरकार ने यह भी दोहराया है कि किसी भी जांच एजेंसी को पूर्व अनुमति लिए बिना न तो जांच शुरू करने का अधिकार होगा और न ही एफआईआर दर्ज करने का। विभाग ने साफ किया है कि पूर्व के आदेशों की अन्य शर्तें और प्रावधान यथावत रहेंगे।










